छत्तीसगढ़। (Congress) कांग्रेस ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद उद्योगपति गौतम अडानी (Gautam Adani) को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। पार्टी ने देशभर में प्रेस कांफ्रेंस कर अडानी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने की मांग दोहराई है। रायपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री भक्त चरणदास ने मीडिया से कहा कि पार्टी किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609 वें से स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के खिलाफ नहीं है। बल्कि सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के खिलाफ हैं, क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध हैं।
कांग्रेस ने देशभर की कई सरकारी संपत्तियां अडानी को सौंपने के लिए भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। भक्तचरण ने कहा कि अडानी समूह ने 2019 में छह में से छह हवाई अड्डों के संचालन की अनुमति सरकार से प्राप्त कर ली। देश की अधिकतर संपत्ति अडानी ग्रुप के भरोसे है। मुंबई एयरपोर्ट समेत प्रमुख 13 कार्गो बंदरगाह का ठेका भी अडानी को दे दिया गया है।
इस कंपनी के अंतर्गत देश के 30 फीसदी बंदरगाह और इन बंदरगाहों से सामानों के लगभग 40फीसदी कंटेनर आते हैं। एक ही व्यक्ति के हाथों में देश की इतनी बड़ी संपदा को देना बहुत ही चिंताजनक है। यदि उसके बिजनेस या शेयरों को नुकसान होता है, तो देश की आर्थिक स्थिति भी नीचे आ जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री केंद्रीय एजेंसियों ईडी और सीबीआई की मदद से अडानी के बिजनेस में प्रतिस्पर्धा करने वाले अन्य उद्योगपतियों को डराते हैं, उन्हें पीछे हटने पर मजबूर करते हैं और अडानी का रास्ता साफ हो जाता है।
पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट और अडानी समूह की धोखाधड़ी पर केंद्र सरकार को श्वेतपत्र जारी करना चाहिए। अडानी समूह में एलआईसी और एसबीआई ने भी पैसा लगाया है। यह भारत सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि एलआईसी द्वारा दिसंबर 2022 को खरीदे गए शेयरों का मूल्य 83 हजार करोड़ रुपए था, जो फरवरी 2023 आते-आते गिरकर 39 हजार करोड़ का रह गया। स्पष्ट है कि एलआईसी के निवेश में 44 हजार करोड़ का नुकसान हो गया। इस नुकसान की जांच छोड़ केंद्र सरकार अब भी अडानी ग्रुप को लाभ के अवसर देने में लगी है।
कांग्रेस नेताओं ने मोदी और अडानी की तस्वीर लहराते हुए कहा कि यह एक साथ विदेश यात्रा करने की तस्वीर है। पीएम के इजरायल दौरे में अडानी को रक्षा क्षेत्र में बड़ा लाभ दिया गया, जबकि इस कंपनी को डिफेंस सेक्टर का अनुभव नहीं है। इसी प्रकार, 2010 में यूपीए सरकार ने बांग्लादेश में एनटीपीसी द्वारा 1320 मेगावॉट का थर्मल पावर प्लांट लगाने का समझौता किया। प्लांट अडानी से झारखंड में लगवाया गया।