संसद की गूंज ने ‘मचाया’ छत्तीसगढ़ में शोर! सियासी ‘ज्वार-भाटा’ में कमल-पंजे की लड़ाई…
By : madhukar dubey, Last Updated : July 5, 2024 | 10:31 pm
- आइए हम अपने छत्तीसगढ़ की सियासत की बात करते हैं। जहां भाजपा के डबल इंजन की सरकार की गाड़ी मोदी की गारंटी पर सरपट दौड़ रही है। और अपने हर एक वादों को विकास के हर स्टेशन पर सही और मुक्कमल वक्त पर पहुंचती दिख रही है। चाहे वह विकास की बात हो या भ्रष्टाचार के खिलाफ विष्णुदेव सरकार के बड़े एक्शन, जिसे केंद्र की ED एजेंसी के साथ अब राज्य की EOW जैसी जांच एजेंसी। डबल इंजन की सरकार है तो ऐसे में जाहिर है कि इनकी कार्रवाई भी संयुक्त रूप से चल रही है। ऐसे में अब शराब और कोयला लेवी घोटाला के साथ-साथ महादेव सट्टा एप की गहरी जड़ों तक पहुंचने में कामयाबी भी मिल रही है।
ये दीगर बात है कि कांग्रेस हमेशा से इन सब घोटाले को भाजपा द्वारा प्रयाेजित बता रही है और लेकिन मिल रहे साक्ष्यों को मानने को तैयार नहीं है। इससे सत्ता और विपक्ष की दलीलों से जनता में एक बहस भी छिड़ी, क्योंकि कोयला घोटाले के साक्ष्य तो शराब घोटाले के नकली होलोग्राम जमीनें उगल रही हैं। जिसमें कांग्रेस बैकफुट दिख रही है, क्योंकि इसके घेरे में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार है। इन सबके बावजूद आगम निगम चुनाव को देखते हुए कांग्रेस को भाजपा से कमतर नहीं आंका जा सकता है।
बहरहाल, कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा विधानसभा पूर्व से जैसे हमलावार थी,वैसे ही आज भी आक्रामक अंदाज में है। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों में 10 में भाजपा के सांसद जीते हैं। इनमें ही सबसे कद्दावर भाजपा नेता और सांसद संतोष पांडेय हैं। जिन्होंने संसद में विकास के मुद्दे के साथ छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा एप को लेकर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के पूर्व सीएम भूपेश बघेल की भूमिका को संदिग्ध बताया। उनके संसद में बयान को लेकर कांग्रेस के पूर्व भूपेश बघेल ने विरोध दर्ज कराते हुए संसद के स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी।
इसमें उन्होंने इसमें अपनी तरफ से कई दलीलों के माध्यम से गलत करार दिया। भूपेश की स्पीकर को लिखी चिट्ठी पर भाजपा ने भी आक्रमक रूख अपना लिया। और कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के भूपेश बघेल के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचारों के मुद्दे जिन्न बनकर सोशल मीडिया पर छा गए और भाजपा के सियासी महारथियों ने बयानों के बाण छोड़ने लगे। वैसे इनके बचाव में कांग्रेस ने भाजपा पर पलटवार तो किए। वर्तमान भाजपा सरकार के दौरान कानून व्यवस्था पर सवाल भी उठाए। लेकिन जब इससे कोई खास प्रभावशील नहीं लगा तो कांग्रेस ने भाजपा के 400 पार के नारे के बहाने एनडीए की कम आई सीटों पर सवाल उठाते हुए पीएम मोदी पर कार्टून पोस्टर जारी किए।
इस वार के जवाब और पलटवार करते हुए भाजपा ने कांग्रेस की सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर पोस्टर वार करते हुए संसद में पीएम मोदी द्वारा दिए गए बयान की एक लाइन को नारे का स्वरूप दे डाला और अपने एक्स हैंडल पर लिखा बालक बुद्धि है। इस पर बौखलाई कांग्रेस ने भी बयान जारी किया। कहा-ये राहुल गांधी के बढ़ते कद से भाजपा की बौखलाहट है। छत्तीसगढ़ में संसद के बयानों से गरमाई सियासी जुबानी जंग में भाजपा-कांग्रेस एक-दूसरे को पछाड़ने में दिखी।
इतना तो तय है कि इन बयानों की सच्चाई का कोई पैरामीटर तो नहीं होता है लेकिन इतना तय है जनता सब कुछ समझती है, जिसका एक सूत्र है मूकदर्शक की भूमिका! उसे पता है कि किसके कार्यकाल में विकास और मूलभूत सुविधाएं ज्यादा फलीभूत होती है। यही कारण भी रहा है जिसके अंडर करंट को कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार भी नहीं समझ पाई।
यहां चर्चा करना लाजमी है कि संसद में पीएम मोदी के भाषण ने जनता में फैलाई गई विपक्ष की नैरेटिव को समझ गई। क्योंकि कभी लोग अब सोच रहे हैं, संविधान और आरक्षण तो कभी खतरे में नहीं था। राजनीतिक जानकारों के माने तो लोस चुनाव में जनमुद्दों के बजाए इन चीजों को इसलिए भी उठाया गया था कि क्योंकि पीएम मोदी के 10 साल के काम से विकास की उच्च सीमा हर क्षेत्र में तय की है। यही वजह भी रहा कि विपक्ष ने ऐसे मुद्दे उठाए जिससे एक खास वर्ग प्रभावित होकर डर और नफरत की राजनीति में जाल में फंस जाए।
राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ कहते हैं कि ये दीगर है कि भाजपा अपने 400 के लक्ष्य को नहीं पा सकी। लेकिन विपक्ष के राजनीतिक फैलाए गए भ्रम के जाल में अधिकांश राज्य की पूरी जनता नहीं आई। इसके चलते भले ही भाजपा की गाड़ी 240 सीट पर थमी लेकिन एक बड़ी पार्टी के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा। वहीं विपक्ष के कांग्रेस 99 के चक्कर में फंस गई। इन अगर संवैधानिक रूप से देखा जाए तो मोदी की हैट्रिक लगी और अब तीसरी पारी में पीएम मोदी का देश को विकास के अनंत अकाश में नई ऊंचाई की ओर ले जाने का संकल्प है। भारत को 2029 तक तीसरी अर्थव्यवस्था और 2047 तक विकसित भारत बनाने का लक्ष्य है।
- विकसित भारत बनाने की रणनीति के तहत भाजपा शासित राज्यों में काम भी शुरू हो गया है। इसमें छत्तीसगढ़ भी प्रमुख है, जहां अमृतकाल डाक्यूमेंट 2047 गठित है, जहां हर दिन बैठक हो रही है। इसके साथ ही विष्णुदेव साय की सरकार के विकास की रफ्तार के चलते कांग्रेस के अारोप बेअसर ही साबित होंगे। कारण है कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार में कोई बड़ी योजना धरातल पर मजबूती के साथ साकार रूप नहीं ले सकी।
वैसे कांग्रेस के 35 विधायक है, लेकिन लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की जनता ने 2019 की तरह ही इस बार 2024 में एक सीट ज्यादा 10 सीटें भाजपा की झोली में डाल दी है। इससे यह तय है कि प्रदेश की जनता मोदी के साथ है। उसका विश्वास और भरोसा पीएम मोदी और यहां की विष्णुदेव साय की सरकार पर है। इसका असर नगरीय चुनाव में भी दिखेगा।
- खैर छोडि़ए बात बयानों की समीक्षा से शुरू हुई थी, लेकिन लाइनें आते-आते पीएम मोदी के फैक्टर और भाजपा और कांग्रेस की भी करनी पड़ी, जो लाजमी भी था। सियासी दर्पण की दास्तां की आगे भी जारी रहेगी। समय-समय पर राजनीति भी करवट लेती है और जनता की मनोदशा भी।
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