2800 करोड़ की ‘बाइक-बोट स्कीम’ से ठगी: रायपुर लाए गए तीन आरोपी, देशभर में 1.5 लाख से ज्यादा लोग बने शिकार

By : dineshakula, Last Updated : June 29, 2025 | 6:41 pm

रायपुर: देशभर में बहुचर्चित ‘बाइक बोट स्कीम’ (Bike bot scheme) घोटाले की जांच में अब रायपुर पुलिस की भी सक्रिय भूमिका शुरू हो गई है। राजस्थान की भरतपुर जेल में बंद तीन आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर रायपुर लाकर पूछताछ की जा रही है। इन आरोपियों पर 2800 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने का आरोप है। ठगी का शिकार हुए पीड़ितों में रायपुर निवासी अखिल कुमार बिसोई भी शामिल हैं, जिन्होंने 2019 में सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

इस फ्रॉड स्कीम को उत्तर प्रदेश की कंपनी गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (GIPL) के डायरेक्टर संजय भाटी, सचिन भाटी और उनके सहयोगियों ने अंजाम दिया। निवेशकों को सालाना लाखों रुपए के कमीशन और हर महीने 9765 रुपए के रिटर्न का लालच देकर एक बाइक की कीमत 62,100 रुपए वसूली गई। एक साल तक पैसा लौटाया गया, फिर किश्तें बंद कर दी गईं और निवेशकों को ठगी का अहसास हुआ।

जैसे-जैसे स्कीम लोकप्रिय होती गई, देशभर के करीब 1.5 लाख से ज्यादा लोगों ने करोड़ों रुपए का निवेश कर दिया। जब कंपनी ने किश्तें देना बंद किया, तो देश के कई हिस्सों में मुकदमे दर्ज होने शुरू हुए। अब तक दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर सहित कई शहरों में 500 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं।

क्या है बाइक बोट घोटाला?
साल 2010 में ग्रेटर नोएडा निवासी संजय भाटी ने GIPL कंपनी बनाई। 2018 में ‘बाइक बोट’ नाम की स्कीम लॉन्च की गई। दावा किया गया कि एक बाइक टैक्सी में निवेश कर महीने के हजारों रुपए कमाए जा सकते हैं। कंपनी की ओर से Ola-Uber जैसे प्लेटफॉर्म की तरह सेवा शुरू करने का प्रचार किया गया।

इस स्कीम के तहत कंपनी ने चेन सिस्टम में निवेश करवाया और देशभर से निवेश जुटाया। नवंबर-दिसंबर 2018 में कंपनी ने भुगतान बंद कर दिया और धीरे-धीरे सभी निदेशक फरार हो गए। पीड़ितों की शिकायत पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई आरोपियों की संपत्तियां भी जब्त कर ली हैं।

देशभर में दर्ज हैं मामले
पुलिस के अनुसार, यूपी में 150, राजस्थान में 50, मध्यप्रदेश में 6, इसके अलावा गुजरात, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। आरोपी संजय भाटी के खिलाफ अकेले धारा 138 (NIA एक्ट) के तहत 1500 से ज्यादा केस दर्ज हैं। ये सभी चेक बाउंस से जुड़े मामले हैं।

गैंग का मास्टरमाइंड निकला केमिकल इंजीनियर
डीसीपी (साउथ) हरेंद्र महावर के मुताबिक, इस घोटाले का मास्टरमाइंड संजय भाटी पेशे से केमिकल इंजीनियर है। उसने उत्तराखंड के काशीपुर स्थित गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा किया है। भाटी कई कंपनियों का संचालन करता था और फर्जी स्कीमों के ज़रिए करोड़ों की ठगी करता रहा।

रायपुर पुलिस इस घोटाले से जुड़े स्थानीय पीड़ितों की पहचान और रकम की वसूली के लिए पूछताछ में जुटी है।