बस्तर-आंध्र प्रदेश बॉर्डर: मोस्ट वांटेड और 1 करोड़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा (Naxalite Hidma) आखिरकार 18 नवंबर को सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में ढेर हो गया। सरकार की कई अपीलों और सरेंडर के प्रयासों के बावजूद हिड़मा ने हथियार नहीं छोड़े, लेकिन इस बार उसकी एक बड़ी गलती ने उसे जवानों के चक्रव्यूह में पहुँचा दिया।
लोकेशन बदलने में हुई चूक—यहीं फंस गया हिड़मा
हर बार छत्तीसगढ़ से तेलंगाना की ओर निकलकर बच निकलने वाला हिड़मा इस बार दबाव में आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ गया। यही उसकी सबसे बड़ी चूक साबित हुई। आंध्र प्रदेश की खुफिया एजेंसी को उसकी मूवमेंट का पुख्ता इनपुट मिल गया। इसके बाद ग्रेहाउंड फोर्स घने जंगलों में उतरी और मुठभेड़ में हिड़मा को मार गिराया।
कर्रेगुट्टा छोड़ने के बाद लगातार ठिकाना बदल रहा था
कर्रेगुट्टा हिड़मा और उसकी टीम का सबसे सुरक्षित ठिकाना था। कुछ महीने पहले सुरक्षा बलों ने वहां बड़ा ऑपरेशन चलाया, लेकिन वह फिर भी बच निकला। इस ऑपरेशन के बाद वह लगातार लोकेशन बदलता रहा। उसके इंटेलिजेंस नेटवर्क के कारण वह हर बार घेरे से निकल जाता था, लेकिन इस बार सुरक्षा एजेंसियों की सटीक जानकारी और घेराबंदी से बच नहीं सका। मुठभेड़ के दौरान उसकी पत्नी भी मारी गई।
सरकार की अपील के 8 दिन बाद मिला अंत
10 नवंबर को डिप्टी सीएम और गृह मंत्री विजय शर्मा हिड़मा के गांव पूवर्ती पहुंचे थे। उन्होंने हिड़मा और देवा की मांओं से मुलाकात की और दोनों को सरेंडर करने की अपील की थी। लेकिन हिड़मा ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। मां की अपील के ठीक 8 दिन बाद सुरक्षा बलों ने उसे ढेर कर दिया।
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