छत्तीसगढ़ में जुमे की नमाज के बाद तकरीर पर वक्फ बोर्ड की इजाजत अनिवार्य, ओवैसी ने जताया विरोध
By : hashtagu, Last Updated : November 18, 2024 | 1:04 pm
मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद तकरीर का विषय अब वक्फ बोर्ड के व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से मॉनिटर किया जाएगा। प्रदेशभर के मुतवल्ली इस ग्रुप में जुड़ेंगे, और वे तय करेंगे कि नमाज के बाद कौन से मुद्दों पर तकरीर की जाएगी। यदि वक्फ बोर्ड को इनमें से कोई मुद्दा विवादास्पद लगता है, तो उसमें संशोधन करके फिर से मस्जिद के मुतवल्ली को भेजा जाएगा। यह नया नियम आगामी शुक्रवार यानी 22 नवंबर से लागू होगा।
इस फैसले पर सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अब भाजपाई यह तय करेंगे कि दीन क्या है? क्या हमें अब अपने धर्म पर चलने के लिए इनसे इजाजत लेनी होगी? ओवैसी ने अपने ट्वीट में यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड के पास ऐसी कोई कानूनी ताकत नहीं है, और अगर ऐसा होता भी है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 25 के खिलाफ होगा।
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार का वक़्फ़ बोर्ड चाहता है के जुम्माह का खुतबा देने से पहले खतीब अपने खुतबे की जाँच वक़्फ़ बोर्ड से करवायें और बोर्ड की इजाज़त के बिना खुतबा ना दें।अब भाजपाई हमें बतायेंगे के दीन क्या है? अब अपने दीन पर चलने के लिए इनसे इजाज़त लेनी होगी? वक़्फ़ बोर्ड के पास… pic.twitter.com/fTDL6TZudI
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 17, 2024
वहीं, मुख्यमंत्री साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा ने ओवैसी के बयान का जवाब देते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड किसी भी सरकार के सीधे अधीन नहीं है, और इस समय वक्फ बोर्ड में अधिकांश सदस्य कांग्रेस द्वारा नियुक्त किए गए हैं। उन्होंने ओवैसी को नसीहत दी कि वे यह न समझें कि वक्फ बोर्ड को उनके दीन की शिक्षा लेनी है। झा ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में कोई भी व्यक्ति या पार्टी कानून से ऊपर नहीं है और यहां की कानून-व्यवस्था का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है।
इस निर्णय पर छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सलाम रिजवी ने भी विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि यह पहला ऐसा निर्णय है, जिसमें इमामों को निर्देशित किया जा रहा है, जबकि वक्फ बोर्ड के पास ऐसा कोई नियम नहीं है। रिजवी का कहना था कि तकरीर में कुरान और हदीस के आधार पर बातें होती हैं, और कभी भी किसी मस्जिद से भड़काऊ तकरीर नहीं की गई है।
वक्फ बोर्ड का यह नया आदेश छत्तीसगढ़ में धार्मिक अनुशासन और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है, हालांकि, इस पर राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के बीच तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।