Inside story : नम्बी पहाड़ी पर आए थे ‘छत्तीसगढ़-तेलंगाना’ के नक्सली नेता और कमांडर ! 5 हजार जवानों से घिरे-शांतिवार्ता की पेशकश…VIDEO

By : hashtagu, Last Updated : April 25, 2025 | 5:24 pm

बीजापुर (कमलेश्वर सिंह पैकरा) । (Inaccessible Nambi hill of Bijapur district) केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का संकल्प है 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे देश को नक्सल मुक्त कर देंगे। जिसे आत्मसात करते हुए साय सरकार और अद्र्धसैनिकों बलों द्वारा लगातार नक्सल के खिलाफ (Against naxal) चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में बीजापुर जिले की दुर्गम नम्बी पहाड़ी (कर्र गुट्टा) पिछले तीन दिनों से सुरक्षा बलों से घिरी हुई है। इलाके में सुरक्षा बलों और माओवादियों के बीच बीते 72 घंटों से अधिक समय से रुक-रुक कर भीषण गोलीबारी जारी है। हालांकि अभी तक किसी सुरक्षाकर्मी के हताहत होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार पांच माओवादियों के मारे जाने की खबर है।

विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो नम्बी पहाड़ी, जिसे स्थानीय रूप से कर्र गुट्टा के नाम से जाना जाता है, पड़ोसी राज्य तेलंगाना तक विस्तृत और अत्यधिक दुर्गम भूभाग होने के कारण लंबे समय से नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है। हाल ही में सुरक्षा बलों को मिली खुफिया जानकारी में कुछ बड़े नक्सली नेताओं के इस क्षेत्र में जमा होने की पुख्ता सूचना मिली थी। इसी सूचना के आधार पर तीन राज्यों के नक्सल ऑपरेशन से जुड़े उच्च अधिकारियों की निगरानी में सुरक्षा बलों ने पहाड़ी को चारों ओर से घेर लिया है।

वायुसेना भी नक्सल ऑपरेशन में हुई शामिल

नक्सल विरोधी इस बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को वायुसेना के हेलीकॉप्टरों से भी मदद मिल रही है। इस कार्रवाई में छत्तीसगढ़ पुलिस के विशेष बल डीआरजी और बस्तर फाइटर्स के साथ-साथ केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कोबरा बटालियन, राज्य पुलिस की एसटीएफ, तेलंगाना राज्य के विशेष पुलिस बल ग्रेहाउंड्स और महाराष्ट्र के सी-60 कमांडो शामिल हैं।

खुफिया इनपुट पर जवानों ने घेरा

सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा बलों को इस इलाके में सैकड़ों की संख्या में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी। इसके अतिरिक्त, सुरक्षा बलों को यहां माओवादियों के कुछ शीर्ष और खूंखार कैडरों, जिनमें हिड़मा, देवा, सहदेव और केशव जैसे बड़े नाम शामिल हैं, के भी मौजूद होने की सूचना मिली है।

इस घटनाक्रम पर अभी सुरक्षा बलों की ओर से विस्तृत जानकारी का इंतजार है। इलाके में जारी मुठभेड़ और सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

नक्सलियों की कई कंपनियां मौजूद

इस इलाके में नक्सलियों की बटालियन नंबर 1, 2 समेत अन्य कंपनियां सक्रिय हैं। बड़े नेता हिड़मा, देवा, विकास समेत तेलंगाना-महाराष्ट्र-आंध्र की सेंट्रल कमेटी, ष्ठ्यसर््ंष्टरू (दंण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी), ष्ठङ्कष्टरू (डिविजनल कमेटी मेंबर), ्रष्टरू (एरिया कमेटी मेंबर), संगठन सचिव जैसे बड़े कैडर्स ते नक्सली भी यहां मौजूद हैं।

अब लाल आतंक का होगा अंत- बस्तर आईजी सुंदरराज पी

बस्तर आईजी सुंदरराज पी बोले-अब लाल आतंक का अंत होगा। बीजापुर-तेलंगाना सरहदी इलाकों में बड़ा ऑपरेशन जारी है। उन्होंने कहा कि, चाहे नक्सली आकाश में छिपें या पाताल में अब उनका खात्मा होगा। वे किसी भी हाल में नहीं बक्शे जाएंगे।

300 नक्सलियों को 5 हजार जवानों ने घेर रखा है। जहां करीब 85 घंटे से जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ जारी है। मोर्चे पर हिड़मा, देवा और विकास जैसे खतरनाक नक्सली कमांडरों के फंसे होने की सूचना के बीच नक्सली संगठन ने एक बार फिर सरकार से शांति वार्ता की गुहार लगाई है। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) उत्तर-पश्चिम सब जोनल ब्यूरो के प्रभारी रूपेश की ओर से जारी पत्र में सबसे पहले बीजापुर-तेलंगाना सीमा पर तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षाबल की संयुक्त कार्रवाई को तुरंत रोकने की मांग करते हुए सरकार से शांति वार्ता के लिए आगे आने की अपील की है.

Latter 1 1

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ब्यूरो के चिट्ठी में रूपेश ने साफ तौर पर कहा है कि बस्तर में बंदूक के दम पर शांति नहीं लाई जा सकती. उनका कहना है कि उन्होंने पहले ही शांति वार्ता के लिए माहौल बनाने की मांग की थी, लेकिन सरकार की ओर से इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई.चिट्ठी में हाल ही में शुरू हुए कागार ऑपरेशन का भी ज़िक्र किया गया है, जिस पर रूपेश ने लिखा है कि छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की संयुक्त कार्रवाई वार्ता के माहौल को नुकसान पहुंचा रही है. इसके साथ उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि एक ओर बातचीत की बात होती है, तो दूसरी ओर जंगलों में फोर्स भेज दी जाती है. रूपेश का दावा है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकार की मंशा कुछ और ही दिख रही है. अंत में लिखा गया है कि वे सरकार के जवाब का इंतज़ार कर रहे हैं।

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