Chhattisgarh के बीजापुर में ₹1 करोड़ का इनामी नक्सली सुधाकर मुठभेड़ में ढेर, माओवादी आंदोलन को बड़ा झटका
By : hashtagu, Last Updated : June 7, 2025 | 11:55 am

बीजापुर: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले (Bijapur district) में सुरक्षा बलों को एक बड़ी कामयाबी मिली है। बीते 5 जून को बीजापुर के नेशनल पार्क इलाके में हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने माओवादी संगठन की केंद्रीय समिति के सदस्य सुधाकर को मार गिराया। सुधाकर का पूरा नाम टेंटू लक्ष्मी नरसिम्हा चालम था, जिसे संगठन में गौतम, रामकृष्ण नायडू और सुधाकर जैसे कई नामों से जाना जाता था। सुधाकर पर एक करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। मुठभेड़ के बाद सुरक्षाबलों ने उसके शव को बरामद किया और उसके पास से एक एके-47 राइफल भी मिली है।
पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार सुधाकर माओवादियों की केंद्रीय रीजनल ब्यूरो की क्रांतिकारी राजनीतिक स्कूल (RePOS) का प्रभारी था। यह वही जगह थी जहां युवाओं को माओवादी विचारधारा से प्रभावित कर उन्हें हिंसक गतिविधियों के लिए तैयार किया जाता था। यहां गांधी से लेकर माओ तक की विचारधाराओं की शिक्षा देकर यह बताया जाता था कि सरकार के खिलाफ हथियार क्यों उठाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों से इस स्कूल की जिम्मेदारी सीधे सुधाकर के हाथ में थी। उसकी पत्नी बुदरी उर्फ समता भी एक सीनियर माओवादी कैडर है और फिलहाल मोबाइल पॉलिटिकल स्कूल (MoPOS) से जुड़ी हुई है।
सुधाकर मूल रूप से आंध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी (अब एलुरु जिला) के प्रागदावरम गांव का रहने वाला था। उसने एलुरु के सीआर रेड्डी कॉलेज से पढ़ाई की और फिर विजयवाड़ा में आयुर्वेदिक कोर्स में दाखिला लिया था। लेकिन 1980 के आसपास वह नक्सल आंदोलन में शामिल हो गया और पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। 2001 से 2003 तक वह आंध्र-ओडिशा सीमा क्षेत्र की क्षेत्रीय समिति (AOBSZC) का सचिव रहा, जहां उसके काम की काफी सराहना हुई और उसे संगठन में ऊपर के पद मिले। पिछले 17 साल से वह बस्तर के अबूझमाड़ इलाके में सक्रिय था और पार्टी की रणनीति व प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संभाल रहा था।
हालांकि सुधाकर केवल हिंसक आंदोलन से नहीं जुड़ा रहा। 2004 में जब आंध्र प्रदेश सरकार और नक्सलियों के बीच शांति वार्ता की कोशिशें हुईं, तब वह अंडरग्राउंड से बाहर निकला और गुत्तीकोंडा बिलम में एक जनसभा को भी संबोधित किया। हैदराबाद में हुई उस बैठक में युद्धविराम, भूमि अधिकार और जेलों में बंद माओवादी कैदियों की रिहाई जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई थी, लेकिन वार्ता बेनतीजा रही और सुधाकर दोबारा अंडरग्राउंड हो गया।
अब, बसवराजू के मारे जाने के महज 15 दिन के भीतर ही सुधाकर को मार गिराने को पुलिस माओवाद विरोधी अभियान में बड़ी सफलता मान रही है। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि सुधाकर न केवल संगठन का वरिष्ठ नेता था बल्कि युवाओं को उग्र बनाने वाला मुख्य विचारक भी था। उसके मारे जाने से माओवादी संगठन के मनोबल और आंतरिक ढांचे पर गहरा असर पड़ेगा।