रायपुर। चुनावी रण में भाजपा ने कांग्रेस को धूल चटा दिया है। इससे बौखलाए कांग्रेसी नेताओं का एक तबका ईवीएम पर सवाल उठाने(A section of Congress leaders are raising questions on EVMs.) लगे हैं। महाराष्ट्र ही नहीं रायपुर दक्षिण में कांग्रेस की कारार हार हुई है। अब कांग्रेस संगठन अपनी कमजोरियों को पहचान करने के बजाए अपनी हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया है। ऐसे में इसके पलटवार में भाजपा के साथ-साथ अब मुख्यमंत्री के सहालकार पंकज झा ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर(Chief Minister’s assistant Pankaj Jha on his social media) तंज और नसीहत के साथ-साथ मास्टर स्ट्रोक के अंदाज में तगड़ा जवाब दिया है। वहीं भाजपा ने कहा जब-जब कांग्रेस किसी चुनाव में हारती है तो ईवीएम-ईवीएम चिल्लाती है, क्योंकि कांग्रेस को अपनी हार की समीक्षा करने से कोई मतलब नहीं है। जीत पर लोकतंत्र का गाना गाएगी, तब ईवीएम उसे ठीक लगता है लेकिन हार पर खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ करते हुए खुद की पार्टी की खोट के बजाए उसे ईवीएम में खोट नजर आता है।
पंकज झा ने उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर सुझाव दिया है कि आज भी अपनी सरकारों का इस्तीफा दिलाकर कांग्रेस एक नया ‘बैलेट जेहाद पैदा करने की कोशिश करे, तो उसकी थोड़ी बहुत साख फिर भी बहाल हो सकती है।
पंकज झा ने लिखा है कि अगर कांग्रेस को सचमुच ईवीएम से समस्या है तो उसके लिए सबसे बड़ा अवसर 2018 का विधानसभा चुनाव था। मात्र एक काम करना होता उसे और ऐसी नैतिक शक्ति पैदा होती कि फिर ईवीएम को हटा कर मतपत्रों से चुनाव कराने के अलावा सिस्टम के पास कोई विकल्प ही नहीं बचता।
करना मात्र इतना था कि 2018 में तीन राज्यों में ऐतिहासिक जीत में बाद कांग्रेस का नेतृत्व सामने आ कर यह कह देता कि भले वह जीत गया है लेकिन क्योंकि ईवीएम में उसका विश्वास नहीं है, इसलिए उसके सभी चुने गये विधायक इस्तीफा देते हैं। वह तीनों राज्यों में सरकार नहीं बनाएगी।
आप कल्पना नहीं कर सकते हैं कि असली गांधी का युग समाप्त होने के बाद का यह पहला ऐसा सत्याग्रह हो सकता था, जिसकी चर्चा दुनिया भर में होती। लेकिन कांग्रेस जैसी पार्टी, जिसका नैतिकता तो छोडिय़े, सच्चाई से भी कोई लेना-देना नहीं है, ऐसा कर ही नहीं सकती थी। इसके लिए बलिदान देना होता है। गांधी-सुभाष-मुखर्जी होना होता है इसके लिए।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दोमुंहापन का इससे बड़ा नमूना और कुछ नहीं हो सकता कि जहां आप जीतो, वहां सरकार बना लो, फिर चिचियाते रहो कि मशीन पर भरोसा नहीं। कुछ विघ्नसंतोषियों के अनुसार इन्हें कथित ‘छोटे’ राज्य दे दिये जाते हैं, जबकि बड़े राज्यों में ईवीएम कर दिया जाता है। झारखंड, तेलंगाना, कर्नाटक, हिमाचल, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ ये सभी छोटे राज्य हैं इनकी समझ से। इसी प्रकार लोकसभा में 99 सीटें जीतकर स्वयं को तीसमारखाँ समझ लेने वाले तत्वों को यह याद ही नहीं रहता कि वे सदस्य भी ईवीएम से ही चुने गये हैं। क्या ही कहें!
चलो, बीत गया वह बात गयी। आज भी अपनी सरकारों का इस्तीफा दिलाकर कांग्रेस एक नया ‘बैलेट जेहाद’ पैदा करने की कोशिश करे, तो उसकी थोड़ी बहुत साख फिर भी बहाल हो सकती है। अन्यथा लुटा-पिटा उसका कारवां बिल्कुल स्वरा भास्कर हो जाएगा। हर दिन कांग्रेस अपनी ताबूत में दो-चार कील तो ठोक ही लेती है। दु:ख बस इस बात का अधिक है कि उसके ठुकाए कीलों में से कुछ कील भारत और लोकतंत्र को भी घायल कर जाते हैं।
डीप स्टेट, सोरोस, चीन, बाइडन, हिंडनबर्ग, नोमानी ये सारे अंतत: भारत को ही तो नुकसान पहुंचा जाते हैं। भारत की प्रात: स्मरणीय जनता भले बार-बार इनके मंसूबों पर राहुल फेर देता हो, पर देश का नुकसान तो कर ही जाते हैं ये बार-बार, हर बार।
एक मुगालता इंडी गठबंधन को और है कि अगर बैलेट से चुनाव हो जाय, तो वह पहले की तरह ‘बुलेट’ से कब्जा करने में कामयाब हो जाएंंगे, पर यह खुशफहमी भी उसे अब छोड़ देनी चाहिए। अब जनता अत्यधिक समझदार है। कुछ दीनी इलाकों को छोड़ कर शेष कहीं भी उसकी दाल नहीं गलने देगी अब जनता। वह अब लालू जैसा जमाना भूल जाए। सिस्टम आज अगर बैलेट के पक्ष में नहीं है तो केवल इसलिए नहीं क्योंकि उसे लालुओं की बन्दूख से डर लगता है। वह इस नये युग की तकनीक के पक्ष में इसलिए है क्योंकि अराजकता और अनाचार को पैदा होने का वह अवसर ही नहीं चाहता।
किसी देशद्रोही मूर्ख के कह देने मात्र से क्या आप आज एटीएम, यूपीआई आदि बंद कर देंगे? याद कीजिए, ये वही तत्व हैं जो लगातार आधार कार्ड जैसी चीजों का भी निजता और अन्य बहानों से विरोध करते रहे हैं, आज भी कर रहे हैं।
क्या देश को उस जवाहर युग में फिर से ले जाना उचित होगा, जहां हमारे वैज्ञानिक बैलगाड़ी से सेटेलाइट ढोते थे? नहीं न? आपको क्या लगता है, ईवीएम के द्वारा चुनी हुई अपनी सरकारों से इस्तीफा दिला कर कोई नया ‘वोट जिहाद’ करने का नैतिक बल होगा नकली गांधियों के पास? बताइयेगा कृपया।