नक्सलियों पर कश्मीर मॉडल से वार! रायपुर में देशभर की सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी बैठक

बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सीमावर्ती इलाकों में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी हैं, खासकर छत्तीसगढ़-ओडिशा, छत्तीसगढ़-तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बालाघाट बॉर्डर पर।

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  • Publish Date - September 5, 2025 / 03:20 PM IST

रायपुर: नया रायपुर की हरियाली के बीच एक निजी रिसॉर्ट शुक्रवार सुबह से देश की सुरक्षा रणनीति (security strategy) का केंद्र बना रहा। सुबह 9:30 बजे यहां एक अहम बैठक की शुरुआत हुई, जिसमें चार राज्यों—छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना—के डीजीपी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के उच्च अधिकारी, इंटेलिजेंस एजेंसियों के प्रतिनिधि और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। इस पूरे आयोजन की अगुवाई केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और इंटेलिजेंस ब्यूरो के प्रमुख तपन कुमार डेका ने की। यह बैठक केवल एक समीक्षा नहीं थी, बल्कि यह तय करने का मंच था कि अब नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई कश्मीर की तर्ज पर कैसे होगी।

सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही एक स्पष्ट समय सीमा दे चुके हैं—31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह खात्मा। इसी डेडलाइन को ध्यान में रखते हुए एजेंसियों पर दबाव और जिम्मेदारी दोनों बढ़ी है। बैठक में इस बात पर गहन चर्चा हुई कि नक्सल ऑपरेशन को और आक्रामक और इंटेलिजेंस आधारित कैसे बनाया जाए। यानी अब कार्रवाई सिर्फ प्रतिक्रिया स्वरूप नहीं, बल्कि खुफिया जानकारी के आधार पर पहले से ही तय ठिकानों पर होगी। ऑपरेशन अब जंगलों की गहराई में भी उतनी ही सटीकता से चलाए जाएंगे, जितनी सटीकता से घाटी में आतंकियों पर की जाती है।

बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि सीमावर्ती इलाकों में नक्सलियों की गतिविधियां बढ़ी हैं, खासकर छत्तीसगढ़-ओडिशा, छत्तीसगढ़-तेलंगाना और मध्यप्रदेश के बालाघाट बॉर्डर पर। ऐसे में अब जरूरत है साझा ऑपरेशन की, जहां एक राज्य की सीमा पर जो गतिविधि हो, उसकी जानकारी तत्काल दूसरे राज्यों तक पहुंचे। इसी कड़ी में एक साझा रियल-टाइम इंटेलिजेंस नेटवर्क बनाने की दिशा में भी चर्चा हुई है। CRPF, BSF, ITBP, IB, NIA और राज्यों के गृह विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने इस नेटवर्क की आवश्यकता को जरूरी बताया।

बैठक में इस बात पर भी विशेष जोर दिया गया कि ऑपरेशन केवल फोर्स मूवमेंट से नहीं चलेंगे, बल्कि हर मूवमेंट के पीछे खुफिया इनपुट होगा। जंगलों और पहाड़ी इलाकों में छिपे नक्सलियों के ठिकानों की पहचान पहले ही की जा रही है, और अब उन्हें एक-एक कर खत्म करने की योजना है। इसके लिए आधुनिक तकनीक, ड्रोन सर्विलांस और सैटेलाइट डेटा का भी सहारा लिया जाएगा।

नया रायपुर की यह बैठक दिखाती है कि अब केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक मोड़ पर हैं। कश्मीर की तर्ज पर रणनीति बनाना यह संकेत है कि अब सहनशीलता की जगह सख्ती और रणनीतिक आक्रामकता ले रही है। जंगल अब नक्सलियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रहेंगे। रायपुर से उठी इस रणनीति की गूंज आने वाले समय में देश के सबसे संवेदनशील इलाकों में सुनाई देगी।