तेज लहरों से लड़ी मर्दानी, 2 साल की बहन को मौत के मुंह से खींच लाई, राज्यपाल करेंगी सम्मानित

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। ऐसे ही अदम्य साहसी छत्तसीगढ़ की 8 साल की बेटी (Jambavati Bhuarya) जांबवती भुआर्य है।

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  • Updated On - December 26, 2022 / 09:21 AM IST

छत्तीसगढ़। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी। ऐसे ही अदम्य साहसी छत्तसीगढ़ की 8 साल की बेटी (Jambavati Bhuarya) जांबवती भुआर्य है। जिसने नदी के तेज लहरों से अपनी दो साल साल की बहन को बचाकर उसे मौत के मुंह से खींच लाई। वास्तव में इस (Chhattisgarh) छत्तीसगढ़ की बेटी ने पूरी दुनिया के सामने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। इस वीरांगना जांबवती भुआर्य को 26 दिसंबर को राज्यपाल अनुसुइया उइके जांबवती को सम्मानित करेंगी। उसे बाल वीरता के पुरस्कार दिया जाएगा। आइए जानते हैं कि इस बाल वीरांगना की साहस से भरी अदभूत कहानी।

भानुप्रतापपुर के दूरस्थ इलाके भानबेड़ा गांव के नदियापारा की रहने वाली जांबवती भुआर्य ने अपनी २ साल की बहन को नदी में डूबने से बचाया था। वो नदी की तेज लहर से बच्ची को बचा लाई थी। ४ सितंबर को जांबवती अपनी २ साल की बहन मोसिका के साथ अपनी अपनी मां धनेश्वरी को ढूंढते-ढूंढते नदी के पास जा पहुंची थी। इनकी मां नदी के दूसरे छोर पर मजदूरी करने के लिए गई हुई थी। मां की तलाश में दोनों बहनें एनीकेट से नदी पार करने लगीं, तभी दोनों बच्चों का पैर फिसल गया और वे नदी में जा गिरे। नदी में जमा कचरे और झाड़ियों में दोनों बहनें फंस गईं, लेकिन फिर पानी का बहाव तेज होने के कारण दोनों बहने लगीं।

बड़ी बहन जांबवती ने झाड़ियों को एक हाथ से पकड़ रखा था

बड़ी बहन जांबवती ने झाड़ियों को एक हाथ से पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से वो छोटी बहन का हाथ भी थामे रही। आधे घंटे तक दोनों बच्चियां इसी तरह संघर्ष करती रहीं, लेकिन तेज बहाव के बावजूद बड़ी बहन ने छोटी बहन का हाथ नहीं छोड़ा। छोटी बहन के पेट में भी काफी पानी चला गया था। दोनों बच्चों के रोने की आवाज सुनकर उसकी मां और आसपास काम कर रहे लोग मौके पर पहुंच गए और दोनों बच्चियों को बाहर निकाला। इस बीच छोटी बहन बेहोश हो गई थी।

कुछ इस तरह गांव के सरपंच जागेश्वर ने की थी मदद

दोनों बच्चियों को अस्पताल ले जाया गया। रास्ते में गांव के सरपंच जागेश्वर सिंह नरेटी भी मिल गए, जिनकी सहायता से उन्हें जल्द इलाज मिला। काफी देर तक छोटी बहन के शरीर में कोई हलचल नहीं थी, लेकिन डॉक्टरों ने उसके शरीर से पानी निकाला। समय पर इलाज मिलने से उसकी जान बच गई।

इस घटना के बाद सभी ने जांबवती के साहस की जमकर तारीफ की। ८ साल की उम्र में जब कोई बच्चा पानी के तेज बहाव को देखकर घबरा जाता या खुद को बचाने की कोशिश करता या डरकर सही फैसला नहीं ले पाता, जब छोटी सी जांबवती ने अपनी २ साल की छोटी बहन का हाथ विपरीत परिस्थिति में भी नहीं छोड़ा, जिसकी वजह से उसकी जान बच गई। जांबवती कक्षा-३ की छात्रा है। वो भानबेड़ा प्राथमिक शाला में पढ़ाई करती है। माता-पिता मजदूरी करके गृहस्थी चलाते हैं।