नक्सलियों ने नाबालिगों को ढाल बनाया: मुठभेड़ में घायल बच्ची के गले में छह दिन से फंसी गोली, रायपुर में होगा इलाज

इसके अलावा, घायल बच्चों में राजू बंडा नामक बच्चा मेकॉज अस्पताल में भर्ती है, जबकि सोनू और चेतराम नामक दो अन्य बच्चों को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में इलाज दिया जा रहा है।

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  • Publish Date - December 19, 2024 / 12:25 PM IST

नारायणपुर: नारायणपुर के जंगलों में 12 दिसंबर को हुई एक नक्सली मुठभेड़ में 7 नक्सली (Naxalites) मारे गए थे। इसके बाद दो दिन में चार नाबालिग बच्चों के घायल होने की खबर सामने आई। पुलिस का कहना है कि मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों ने अपनी जान बचाने के लिए नाबालिगों और ग्रामीणों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था। यही वजह रही कि इन बच्चों को गोली लगी और वे घायल हो गए। इनमें से एक बच्ची, रमली ओयाम, के गले में गोली छह दिन से फंसी हुई है। उसे इलाज के लिए रायपुर रेफर किया गया है, जहां उसका ऑपरेशन किया जाएगा और गोली निकाली जाएगी।

इसके अलावा, घायल बच्चों में राजू बंडा नामक बच्चा मेकॉज अस्पताल में भर्ती है, जबकि सोनू और चेतराम नामक दो अन्य बच्चों को दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में इलाज दिया जा रहा है।

एसपी गौरव राय ने बताया कि नक्सलियों ने अपने वरिष्ठ कैडर कार्तिक को बचाने के लिए नाबालिगों और स्थानीय ग्रामीणों को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था। मुठभेड़ के दौरान हुई क्रॉस फायरिंग में इन बच्चों को गोली लगी।

नक्सलियों ने भी इस मुठभेड़ को लेकर एक प्रेस नोट जारी किया था, जिसमें उन्होंने मारे गए सात लोगों में से एक महिला और एक पुरुष को नक्सली बताते हुए बाकी पांच को ग्रामीण कहा था। घायल नाबालिगों के बयान से यह स्पष्ट होगा कि वे मुठभेड़ के दौरान कहां मौजूद थे, लेकिन अभी तक इन घायलों से मिलने की अनुमति किसी को भी नहीं दी गई है।नक्सलियों द्वारा नाबालिगों को ढाल बनाने की यह घटना बेहद चिंताजनक है। इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा पर सवाल उठते हैं, बल्कि यह भी दर्शाता है कि नक्सल संगठन अपनी रणनीतियों में किस हद तक अमानवीय तरीके अपना रहे हैं। घायल बच्चों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर भेजा गया है, जहां उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाएगा।