रायपुर। जिस तरीके से लोकसभा चुनाव में भाजपा को ४०० पार सीट पाने के लक्ष्य को रोक देने का श्रेय कांग्रेस और इंडी गठबंधन के दलों ने खुद को दिया। तब ईवीएम पर सवाल नहीं खड़े किए लेकिन जब हरियाणा और जम्मू कश्मीर के चुनावी नतीजे को लेकर कांग्रेस की इन दो राज्यों को लेकर अलग-अलग राय है। कांग्रेस जहां जम्मू कश्मीर के नतीजे(Jammu Kashmir results) को लोकतंत्र की जीत बता रही है। वहीं हरियाणा के नतीजे पर अब कांग्रेस ईवीएम(Congress EVM) और चुनाव आयोग को जिम्मेदार बता रही है। इतना ही कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता इसकी व्याख्या अपने-अपने तरीकों से करते हुए इसे नतीजे को साजिश बताने में लग गए हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात है कि इसी कांग्रेस को मोदी के कार्यकाल में जिन राज्यों में जीत मिली तो उसे चुनाव आयोग की कार्यशैली और ईवीएम पर कोई खोट नजर नहीं आई। लेकिन जैसे ही वह किसी राज्य में हारती है तो ईवीएम पर सवाल खड़े करने लगती है। अब हरियाणा के चुनावी नतीजों के बाद राहुल की जलेबी के बहाने भाजपा के तंज और वार से बौखलाई कांग्रेस खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत चरितार्थ करते हुए अपनी हार के लिए चुनाव आयोग की कार्यशैली पर शक जाहिर करती दिख रही है। हालात तो ये है कि राहुल गांधी पार्टी की हरियाणा के चुनाव में पार्टी के अंदर चली सैलजा और हुड्डा की गुटबाजी की समीक्षा के बजाए वे चुनाव आयोग में पूरी प्रक्रिया की शिकायत करेंगे। लेकिन जम्मू-कश्मीर के कांग्रेस और एनसी गठबंधन की मिली जीत पर भाजपा की नीतियों के खिलाफ लोकतंत्र की जीत बता रही है।
जबकि अगर भाजपा के हरियाणा में जीत की बात करें तो यहां भाजपा की राज्य सरकार के खिलाफ इंटी एनकम्बैंसी की बात एग्जिट पोल और मीडिया रिपोटर्स में सामने आ रही थी। लेकिन नतीजों ने यह साबित कर दिया कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सीटें कम होने के बाद सबक लेते हुए हरियाणा में जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग की। नतीजा आज हरियाणा में हैट्रिक लगाते हुए सत्ता में जोरदार वापसी की। अब इसके बाद भाजपा का लक्ष्य है कि महाराष्ट्र, झारखंड और बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव में रणनीति के साथ जीत हासिल करना। लेकिन इससे इतर कांग्रेस इससे इतर हार के लिए किसे जिम्मेदार ठहराए क्या समीक्षा करें। यानी कुल मिलाजुलाकर कांग्रेस खुद में उलझी हुई एक पार्टी है। इसके पीछे जानकार एक बड़ा कारण बताते हैं कि राहुल गांधी के सिपहसलाहकार अपने हिसाब से अपने चहेतों को पार्टी की मुख्य धारा में बनाए रखने के लिए उन्हें जमीनी हकीकत से अवगत नहीं कराते।
हालात ये हैं कि कांग्रेस के किसी राज्य में हारने पर पहले आम आदमी ही कहता है, देखना भाई राहुल या किसी कांग्रेसी नेता यही बयान देगा कि ईवीएम और चुनाव आयोग में कोई साजिश या खामी है। ठीक वैसा ही नजरा लोगों को टीवी या सोशल मीडिया में भी दिखने लगता है। इससे पब्लिक भी अब समझ गई है और वैसे भाजपा कहती भी है कि कांग्रेस सिर्फ दुष्प्रचार और भ्रम फैलाती है, जैसा लोकसभा चुनाव के दौरान दिखा भी। संविधान और न जाने क्या-क्या खतरे का भय दिखाने के बावजूद १०० सीट भी नहीं जीत पाई। लेकिन इससे सबक लेते हुए हरियाणा की जनता ने भाजपा के शासन पर अपनी अंतिम मोहर लगा दी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरियाणा के चुनावी नतीजों पर बड़ा बयान दिया है। राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री ने मां बमलेश्वरी देवी की पूजा अर्चना की। पूजा पाठ के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत की। उन्होंने हरियाणा के चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित बताया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा नतीजा कभी नहीं देखा गया। सर्वे में भी बीजेपी को जीत मिलती हुई नहीं दिख रही थी। पोस्टल बैलट की गिनती में भी बीजेपी कांग्रेस से पिछड़ रही थी। भूपेश बघेल ने हैरानी जताते हुए कहा, ऐसा क्या हो गया कि ईवीएम के खुलते ही बीजेपी आगे हो गयी। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी यही कहानी दोहरायी गयी थी।
१-छत्तीसगढ़ की तर्ज पर हरियाणा में भी गुटबाजी क्यों हुई, ये वही शैलजा है, जो प्रदेश प्रभारी थी
२-अभी तक छत्तीसगढ़ में हुए विस और लोस चुनाव के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया, खुद कांग्रेस को पता नहीं
३-टिकट बांटने के नाम पर पैसे लेने और भूपेश सरकार में भ्रष्टचार के जवाब आज तक जनता को क्यों नहीं मिले
४-कांग्रेस की जमीन बचाने के लिए अभी भूपेश के सिंडिकेट ही सक्रिय हैं
५-आखिर क्या मजबूरी है राहुल जी, कहीं बघेल को हटाने से राज से पर्दाफाश तो नहीं हो जाएंगे।
६-३०० करोड़ के खाते गरीबों के खाते से चलाने वाले और १५ करोड़ के ठग केके श्रीवास्तव से भूपेश का क्या कनेक्शन
७-क्या विधायक और कार्यकर्ताओं की बात क्यों नहीं कांग्रेस का शीर्ष नेत़ृत्व ने सुनी
८-हजारों करोड़ों के भ्रष्टाचार के पैसे कहां-कहां किसे दिए इसका जवाब जनता मांग रही।