रायपुर। मोदी की गारंटी पर आई बीजेपी की नई सरकार में इस बार नए चेहरों को मौका दिया गया है। इसमें कई पूर्व मंत्री CM विष्णुदेव साय की कैबिनेट (CM Vishnudev Sai’s cabinet) से दरकिनार कर दिए गए हैं। ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं (Senior leaders of BJP) को निगम-मंडल और आयोग के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी भविष्य में दी जा सकती है। इसके अलावा संगठन में भी पद से नवाजा सकता है। कुला मिलाकर सभी के सामने अभी टॉस्क है लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार बनने के बाद कई बड़े नाम सीएम पद से लेकर मंत्रिमंडल तक की दौड़ में शामिल थे। इनमें सांसद, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष से लेकर आधा दर्जन से ज्यादा पूर्व मंत्री भी शामिल हैं। अब इन नेताओं के पास विधायकी के अलावा कोई जिम्मेदारी नहीं है। रेणुका सिंह ने केंद्रीय मंत्री का पद छोड़कर विधानसभा का चुनाव लड़ा। सरकार बनने के बाद सीएम पद की प्रबल दावेदार रहीं, लेकिन इन्हें मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं मिली। ऐसी ही स्थिति सांसद गोमती साय के साथ भी रही। इन नेताओं को लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है।
केंद्रीय राज्यमंत्री का पद छोड़कर रेणुका सिंह ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। साल 2003 में पहली बार प्रेमनगर सीट से विधायक चुनी गई थीं। 2008 में दूसरी बार विधायक और महिला बाल विकास मंत्री बनीं। 2019 में सरगुजा सीट से लोकसभा सांसद चुनी गईं। मोदी मंत्रिमंडल में अनुसूचित जनजाति विकास राज्यमंत्री रहीं।
गोमती साय विधायक चुनी गईं और लोकसभा से इस्तीफा दिया। 2005 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य बनी थीं। 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष जशपुर बनी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विष्णुदेव साय का टिकट काटकर उन्हें रायगढ़ से उम्मीदवार बनाया था।
अमर अग्रवाल, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, पुन्नुलाल मोहले, विक्रम उसेंड़ी, लता उसेंडी और भैय्या लाल रजवाड़े रमन सरकार में मंत्री थे। धरमलाल कौशिक विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं, लेकिन इस बार मंत्रिमंडल में किसी को शामिल नहीं किया गया।
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