रायपुर/नई दिल्ली, 6 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ के चर्चित DMF घोटाले (डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड) में गिरफ्तार कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है। साथ ही, कोयला लेवी घोटाले में पहले से मिली अंतरिम ज़मानत रद्द करने से भी अदालत ने इनकार कर दिया।
सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डबल बेंच में हुई। अदालत ने कहा:
“तिवारी को कानूनी शर्तों के तहत अंतरिम ज़मानत दी जाती है। वे जांच में सहयोग करेंगे और जब ज़रूरत होगी, तभी छत्तीसगढ़ में रहेंगे।”
सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी, शशांक मिश्रा और तुषार गिरि ने सूर्यकांत तिवारी की ओर से अदालत में पक्ष रखा और कहा कि उनके मुवक्किल सभी शर्तों का पालन करेंगे।
तिवारी को इस समय अंतरिम ज़मानत दी जा सकती है।
कोयला लेवी मामले में ज़मानत रद्द करने का कोई ठोस कारण सामने नहीं आया।
अभियोजन पक्ष को यह स्वतंत्रता रहेगी कि अगर तिवारी ने किसी तरह से ज़मानत का दुरुपयोग किया, तो फिर से ज़मानत रद्द करने की मांग की जा सके।
ईडी (ED) और ईओडब्ल्यू (EOW) की जांच के अनुसार, कोरबा जिले के डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड (DMF) में टेंडर आवंटन के दौरान बड़े स्तर पर घोटाला हुआ है।
अलग-अलग टेंडर भरने वाले कुछ ठेकेदारों और बिचौलियों को अवैध तरीके से लाभ पहुंचाया गया।
EOW ने IPC की धारा 120B और 420 के तहत केस दर्ज किया है।
ED की रिपोर्ट में इन लोगों के नाम सामने आए हैं:
संजय शिंदे
अशोक कुमार अग्रवाल
मुकेश कुमार अग्रवाल
ऋषभ सोनी
मनोज कुमार द्विवेदी (बिचौलिया)
रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर
इन सभी ने मिलकर कथित रूप से बड़े पैमाने पर आर्थिक लाभ अर्जित किया।