रायपुर। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला (Sushil Anand Shukla) ने कहा कि मोदी सरकार का धान खरीदी (Modi Government Bought Paddy) में कोई योगदान नहीं है। धान खरीदी का पूरा का पूरा पैसा राज्य सरकार के द्वारा वहन किया जाता है। राज्य सरकार मार्कफेंड के माध्यम से विभिन्न बैंको से कर्ज लेकर धान खरीदी करती है। किसानों को छत्तीसगढ़ में 2640 रूपये, देश ही नही दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत भूपेश सरकार दे रही है। केन्द्र सरकार सिर्फ सेन्ट्रल पुल का चावल लेती है। भारतीय जनता पार्टी नेता भ्रम फैलाने के लिये जबरिया श्रेय लेने के लिये राजनीति कर रहे है। कांग्रेस सरकार द्वारा किसानों के प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदी के निर्णय से भाजपा परेशान हो गयी है इसलिये वह धान खरीदी के मामले में लगातार झूठ बोल रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ने अपने पद की गरिमा का ख्याल न रखते हुये झूठ बोला कि केंद्र सरकार का धान खरीदी में 80 प्रतिशत योगदान है जबकि केंद्र का धान खरीदी में योगदान शून्य है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य सरकार धान खरीदी करके उससे चावल बनाकर अपनी कल्याणकारी योजनाओं में उपयोग किया जाता तथा केंद्र सरकार भी अपनी वेलफेयर योजना के लिये राज्य से चावल खरीदती है। धान से चावल बनाने का पूरा व्यय राज्य सरकार वहन करती है। चावल केंद्र को बेचने के बाद जो धान शेष बचता है उसका निराकरण और घाटा भी राज्य सरकार वहन करती है। पिछले साढ़े 4 साल में कांग्रेस सरकार ने धान खरीदी के 8259.4 करोड़ रू. का नुकसान उठाया था। वर्ष 2018-19 में 1501.87 करोड़ रू. का हानि, 2019-20 में 1056.93 करोड़ रू. की हानि, 2020-21 में 2010.41 करोड़ का हानि, 2021-22 में 2083.27 करोड़ रू. का हानि, 2022-23 में 1606.92 करोड़ रू. की हानि उठाया था। यही नहीं 2020-21 में कांग्रेस सरकार ने 2500 में धान खरीदकर 1100 से 1200 में खुले बाजार में बेच कर नुकसान उठाया था। घोषित समर्थन मूल्य से अतिरिक्त देने के कारण भूपेश सरकार ने 4 साल में किसानों पर लगभग 25000 करोड़ राजीव गांधी किसान न्याय योजना में दिया है। अभी तक 4 साल में कांग्रेस सरकार ने धान खरीदी पर 33 हजार करोड़ से अधिक अतिरिक्त खर्च किया है। यह भूपेश सरकार की किसानों को उनके ऊपज की पूरी कीमत देने की प्रतिबद्धता है। भूपेश सरकार ने किसानों पर 1 लाख 70 हजार करोड़ खर्च किया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रियायती दर पर खाद्यान्न प्रदान करने की कानूनी बाध्यता के तहत राज्यों से आवश्यकतानुसार चावल क्रय करना पड़ता है। केंद्र सरकार द्वारा राज्यों से उतना ही चावल क्रय किया जाता है जो पी.डी.एस. संचालक एवं बफर स्टॉक मेंटेन करने के लिये जरूरी है। केंद्र सरकार द्वारा उसकी आवश्यकता अनुरूप चावल क्रय करने के बाद भी राज्य में धान शेष रह जाता है। शेष धान के डिस्पोजल की संपूर्ण जवाबदारी राज्य सरकार की है। यदि राज्य सरकार द्वारा किये गये पूरे धान की राशि भारत सरकार की होती तो राज्य सरकार को क्षति नहीं उठानी पड़ती।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों के कारण किसानों को देश में सबसे ज्यादा धान की कीमत 2640 और 2660 रू. मिल रही है। केंद्र सरकार के अडंगेबाजी के कारण किसानों को धान की पूरी कीमत एक साथ नहीं मिल पाता है। किसानों को धान की कीमत 2640 और 2660 रू. जो मिला उसके पीछे कांग्रेस की राजीव गांधी किसान न्याय योजना है। जिसके कारण किसानों को 9000 रू. प्रति एकड़ की इन्पुट सब्सिडी मिल रही है। इन्पुट सब्सिडी प्रति एकड़ 15 क्विंटल धान खरीदी के हिसाब से 600 रू. प्रति एकड़ होती है। 600 रू. और समर्थन मूल्य के 2040 तथा 2060 रू. का जोड़ मिलाकर किसानों को 2640 और 2660 रू. मिला है। राजीव गांधी किसान न्याय योजना की यह सहायता भाजपा के किसान विरोधी निर्णय के कारण ही शुरू की गयी। केंद्र सरकार रोक नहीं लगाती तो किसानों को कांग्रेस सरकार एकमुश्त भुगतान करती।
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