“छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया काहे जाते हैं, आज समझ में आया”: विधानसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भावुक संबोधन

By : dineshakula, Last Updated : March 24, 2025 | 1:54 pm

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के रजत जयंती वर्ष समारोह में जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने मंच संभाला, तो उनका हर शब्द जैसे इस धरती से जुड़ा हुआ लगा। उन्होंने न सिर्फ प्रदेश से अपने आत्मीय संबंध को साझा किया, बल्कि यह भी बताया कि क्यों छत्तीसगढ़ उनके दिल के बेहद करीब है।

“छत्तीसगढ़ से मुझे विशेष लगाव है,” राष्ट्रपति ने कहा, “मैं पांच-छह बार आ चुकी हूं। यहां के लोग बहुत अच्छे हैं, आत्मीय हैं। शायद इसलिए ही कहा जाता है — छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया।”

राष्ट्रपति ने अपनी जड़ों और संवेदनाओं को साझा करते हुए कहा, “जैसे आप बरगढ़ और संबलपुर को छत्तीसगढ़ का हिस्सा मानते हैं, वैसे ही हम रायपुर को ओडिशा का हिस्सा मानते हैं। सीमाएं भले ही परिसीमन से तय होती हों, लेकिन दिलों की कोई सीमा नहीं होती। दिल से हम सब एक हैं, चाहे छत्तीसगढ़ हो या ओडिशा।”

उन्होंने भगवान जगन्नाथ को सिर्फ ओडिशा तक सीमित न मानते हुए कहा, “जगन्नाथ विश्व के देवता हैं, छत्तीसगढ़ के भी हैं। जगन्नाथ मंदिर में जो 56 कोटि का चावल पकता है, वो चावल छत्तीसगढ़ की धरती से आता है। जिसका प्रसाद पूरा विश्व ग्रहण करता है।”

अपने संबोधन में उन्होंने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास पर बल देते हुए कहा,
“करीब 250 साल पहले गुरु घासीदास जी ने समाज सुधार का संकल्प लिया था। आज हमें उस विचार को साकार करना है और श्रेष्ठ छत्तीसगढ़ का निर्माण करना है।”

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि राज्य अब नक्सलवाद के खात्मे के अंतिम चरण में पहुंच चुका है। “नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोग अब विकास के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहते हैं।”

छत्तीसगढ़ की संभावनाओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यहां सीमेंट, खनिज, स्टील, एल्युमिनियम और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में असीम अवसर हैं। उन्होंने कहा, “यहां के हरे-भरे जंगल, झरने और पारंपरिक लोक शिल्प देश-विदेश में सराहे जाते हैं।”

राष्ट्रपति को बताया गया कि अब तक छत्तीसगढ़ विधानसभा में 565 विधेयक पारित किए जा चुके हैं। इनमें कई विधेयक समाज के सुधार और कल्याण से जुड़े हैं।

राष्ट्रपति ने विशेष रूप से महिला विधायकों को संबोधित करते हुए कहा, “यह सदन छत्तीसगढ़ की माताओं और बहनों के आशीर्वाद से आगे बढ़ा है। मैं महिला जनप्रतिनिधियों से कहती हूं कि जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व के लिए आगे आएं।”

अपने भाषण के अंतिम हिस्से में राष्ट्रपति ने मिनीमाता का स्मरण किया, जो संसद में जाने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला जनसेविका थीं।
“मिनीमाता लगातार पांच बार लोकसभा सांसद रहीं और उन्होंने समाज के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। छत्तीसगढ़ वास्तव में भारत माता का प्रतीक है। यहाँ की नारी शक्ति, समाजिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत प्रेरणादायी है।”

इस पूरे संबोधन ने न केवल विधानसभा में बैठे जनप्रतिनिधियों को, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ को भावनात्मक रूप से छू लिया। राष्ट्रपति का यह संदेश साफ था – छत्तीसगढ़ सिर्फ एक राज्य नहीं, बल्कि संस्कृति, समर्पण और संभावनाओं की भूमि है।