सोना, चांदी, तांबा और लोहे का भी आयुर्वेदिक दवाओं में होता है इस्तेमाल

रिसर्च में बताया गया है कि इन धातुओं को आयुर्वेद में रसायन के रूप में उपयोग किया जाता है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं।

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  • Publish Date - March 14, 2025 / 02:05 PM IST

नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। सोना (gold), चांदी, तांबा और लोहा जैसे धातु का आखिर दवाइयों में क्या काम! लेकिन चरक और सुश्रुत संहिता में बाकायदगी से इसका जिक्र मिलता है। इनके भस्म से तैयार तत्व आयुर्वेदिक दवाएं कही समस्याओं को दूर करती है। इन धातुओं का उपयोग प्राचीन काल से ही भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में किया जा रहा है और अब वैज्ञानिक शोध ने इसके स्वास्थ्य लाभों को प्रमाणित किया है।

रिसर्च में बताया गया है कि इन धातुओं को आयुर्वेद में रसायन के रूप में उपयोग किया जाता है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करने, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद में इन धातुओं का उपयोग विशेष रूप से सामग्री का संशोधन प्राकृतिक तत्वों के प्रसंस्करण के माध्यम से किया जाता है, ताकि ये शरीर के लिए अधिक प्रभावी और सुरक्षित हो सकें।

सोने की बात करें तो एनआईएच (नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन) जर्नल में छपे शोध पत्र के मुताबिक अपने मूल रूप में, सोने को सदियों से खुजली वाली हथेलियों से राहत दिलाने के लिए एक एंटी-प्रुरिटिक एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। 1980 में, रॉबर्ट कोच ने देखा कि सोना इन विट्रो में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस को रोकता है । इससे गठिया और ल्यूपस एरिथेमेटोसस पर परीक्षण हुए।

सोने का उपयोग मानसिक शांति और बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह शरीर के भीतर रक्त संचार को बेहतर बनाने और वृद्धावस्था के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

चांदी का उपयोग शरीर को ठंडक प्रदान करने, बुखार और त्वचा संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह शरीर के भीतर विषाक्त पदार्थों को निकालने में भी सहायक है।

तांबा आयुर्वेद में विशेष रूप से पाचन क्रिया को सुधारने, विषाक्त पदार्थों को निकालने और शरीर की रक्षा क्षमता बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होता है।

लोहे का उपयोग खून की कमी (एनीमिया) को दूर करने के लिए किया जाता है। यह शरीर में लाल रक्त कणों को बढ़ाने और ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में मदद करता है।

शोध में पाया गया है कि इन धातुओं का उपयोग अत्यधिक सावधानी से किया जाना चाहिए, क्योंकि इनका अधिक सेवन शरीर में विषाक्तता का कारण बन सकता है। इसलिए, आयुर्वेद में इन धातुओं का उपयोग विशेष रूप से पारंपरिक प्रक्रियाओं के तहत किया जाता है, ताकि उनकी प्रभावशीलता बढ़ाई जा सके और किसी भी प्रकार की हानिकारक प्रतिक्रिया से बचा जा सके।

इन धातुओं का सही तरीके से आयुर्वेदिक उपचार में उपयोग करने से शरीर में संतुलन स्थापित होता है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। लेकिन इनके उपयोग से पहले आयुर्वेदाचार्य से परामर्श जरूरी होता है।