शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से की जा सकती है जीवन व धन की बचत : रिपोर्ट

By : hashtagu, Last Updated : February 18, 2023 | 12:38 pm

कोपेनहेगन, 18 फरवरी (आईएएनएस)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) (WHO) और आर्थिक सह-संगठन संचालन और विकास (ओईसीडी) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, शारीरिक गतिविधि में वृद्धि से जहां बड़ी संख्या में जीवन बचाया जा सकता है, वहीं यूरोपीय संघ (ईयू) में स्वास्थ्य देखभाल लागत में सालाना अरबों यूरो की बचत भी की जा सकती है। शिन्हुआ समाचार एजेंसी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित न्यूनतम स्तर तक शारीरिक गतिविधि बढ़ाने से 2050 तक गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के 11.5 मिलियन नए मामलों को रोका जा सकता है, हजारों अनावश्यक मौतों से बचा जा सकता है, और स्वास्थ्य देखभाल लागत में सालाना यूरोपीय संघ का अरबों यूरो बच सकता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ओईसीडी कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे मिशेल सेचिनी ने कहा हमारा मॉडलिंग अध्ययन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि शारीरिक गतिविधि का स्तर बढ़ाना न केवल स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक प्रभाव पैदा करेगा।

रिपोर्ट के अनुसार प्रति सप्ताह 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि की डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के पालन से यूरोपीय संघ के नागरिक हर साल इस क्षेत्र में 10 हजार से अधिक समय से पहले होने वाली मौतों को रोकेंगेञ

रिपोर्ट के अनुसार, यूरोपीय संघ के देशों से अपेक्षा की जाती है कि यदि वे पूरी आबादी के बीच शारीरिक निष्क्रियता के मुद्दे का समाधान करते हैं, तो वे अपने स्वास्थ्य देखभाल बजट का औसतन 0.6 प्रतिशत बचा सकते हैं। यह लगभग 8 बिलियन यूरो सालाना है।

यूरोप में डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक हैंस क्लूज ने कहा, रिपोर्ट इस बात का सबूत देती है कि शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने वाली नीतियों में निवेश करने से न केवल व्यक्तिगत भलाई और जनसंख्या स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि आर्थिक लाभांश भी मिलता है।

हालांकि, अध्ययन में यह भी सामने आया है कि यूरोपीय संघ में हर तीसरा व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में शारीरिक गतिविधि में संलग्न नहीं होता है। 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि वे कभी व्यायाम नहीं करते या खेल नहीं खेलते। पर्याप्त शारीरिक गतिविधि का सबसे अधिक बोझ जर्मनी, इटली और फ्रांस में पाया जाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक निष्क्रियकता चार सबसे घातक रोगों का कारण बना रहा है। इनमें हृदय रोग, कैंसर, पुरानी सांस की बीमारियां व मधुमेह शामिल है।