नई दिल्ली | अगर आप सोचते हैं कि मोटापा (obesity) केवल दिल या शुगर की बीमारी का कारण बनता है, तो एक नई स्टडी आपको हैरान कर सकती है। जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, अत्यधिक मोटापा (Severe Obesity) फेफड़ों की उम्र तेजी से बढ़ा देता है। यानी मोटापे से ग्रस्त लोगों के फेफड़े समय से पहले ‘बूढ़े’ हो जाते हैं।
यह शोध प्रतिष्ठित पत्रिका ‘Cell Reports’ में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने प्रोटीन, वसा और जीन की एक साथ जांच के लिए मल्टी-ओमिक्स तकनीक का उपयोग किया और पाया कि:
मोटापा फेफड़ों की संरचना में गहरे स्तर पर बदलाव करता है।
फेफड़ों में मौजूद एक्स्ट्रासेल्युलर मैट्रिक्स (ECM) यानी बाहरी कोशिकीय ढांचा — जो फेफड़ों को आकार और स्थिरता देता है — मोटापे से प्रभावित होता है।
यह परिवर्तन आमतौर पर बुढ़ापे में देखे जाने वाले बदलावों से मेल खाते हैं, जिससे यह निष्कर्ष निकलता है कि मोटापा फेफड़ों की ‘प्राकृतिक उम्र बढ़ने’ की प्रक्रिया को तेज कर देता है।
टीम ने मोटे और दुबले चूहों के फेफड़ों की तुलना की।
उन्होंने मानव संयोजी ऊतक कोशिकाएं (Connective Tissue Cells) जैसे फाइब्रोब्लास्ट का विश्लेषण किया।
पाया गया कि मोटापे में ये कोशिकाएं अधिक वसा जमा करती हैं, असामान्य रूप से सक्रिय हो जाती हैं, और उम्र बढ़ने के लक्षण दिखाने लगती हैं।
शोध में बताया गया कि मोटापा फेफड़ों की इलास्टिसिटी (Elasticity) यानी लचीलापन कम कर देता है, जिसके चलते:
सांस लेने में दिक्कत होती है,
सीढ़ियाँ चढ़ना, दौड़ना या लंबी बातचीत में जल्दी थकावट होती है,
और सांस फूलने की समस्या आम हो जाती है।
मैट्रिसोम नामक फेफड़ों के ECM का संतुलन बिगड़ता है।
कुछ प्रोटीएज अवरोधकों (protease inhibitors) की संख्या में असंतुलन आ जाता है,
जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को धीरे-धीरे कम करता है।
शोधकर्ताओं ने कहा:
“मोटापे के कारण फेफड़ों में कई जटिल और गहरे स्तर के बदलाव देखे गए, जो अंततः ‘FSC’ यानी फाइब्रोब्लास्टिक स्ट्रोमा को प्रभावित करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि अतिपोषण (Overnutrition) फेफड़ों की उम्र बढ़ाने का प्रमुख कारक हो सकता है।”
यह शोध इस बात को और मजबूती देता है कि मोटापा केवल वजन की समस्या नहीं, बल्कि यह शरीर के हर अंग, खासकर फेफड़ों की दीर्घकालिक क्षति का कारण बन सकता है।
इसके अलावा, यह अस्थमा, क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में भी मोटापे की भूमिका को उजागर करता है।