भारत के लोगाें को पोषण संकट से निपटने के लिए संतुलित आहार अपनाने की जरूरत : एक्‍सपर्ट

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लोगाें को पोषण संकट से निपटने के लिए संतुलित आहार अपनाने की जरूरत है।

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  • Updated On - January 13, 2025 / 04:17 PM IST

नई दिल्ली, 13 जनवरी (आईएएनएस)। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के लोगाें को पोषण संकट से निपटने के लिए संतुलित आहार(Balanced diet) अपनाने की जरूरत है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पोषण संस्थान(Indian Council of Medical Research-National Institute of Nutrition) (आईसीएमआर-एनआईएन) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहा है, जिसमें कुल रोगों का 56.4 प्रतिशत हिस्सा असंतुलित आहार के कारण है।

अनहेल्दी खाने की आदतें, जिनमें नमक, चीनी और वसा से भरपूर प्रोसेस्ड फूड का सेवन शामिल है, फास्ट-फूड चेन और पैकेज्ड स्नैक्स की आसान उपलब्धता के कारण यह आदतें तेजी से बढ़ रही हैं।

आईसीएमआर-एनआईएन की पूर्व निदेशक डॉ. हेमलता आर ने कहा, “भारत गंभीर स्तर के पोषण संकट का सामना कर रहा है, जिसमें पेट का मोटापा पूरी शरीर के मोटापे से कहीं अधिक है। 50 प्रतिशत से ज्यादा आबादी मोटापे, टाइप 2 डायबिटीज और फैटी लीवर आदि सहित आहार संबंधी डिजीज से पीड़ित है।”

हेमलता ने हाल ही में फिजिशियन एसोसिएशन फॉर न्यूट्रिशन इंडिया (पैन इंडिया) द्वारा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) बेंगलुरू के सहयोग से आयोजित 30वें सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) सेमिनार में मुख्य भाषण देते हुए यह बात कही।

देश में होने वाली कुल मृत्यु दर में से 66 प्रतिशत नॉन कम्युनिकेबल डिजीज (एनसीडी) के कारण होती हैं। भारत में इन बीमारियों का सामना बहुत कम उम्र में होता है। चिंताजनक बात यह है कि एनसीडी से पीड़ित दो-तिहाई भारतीय 26-59 आयु वर्ग में आते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण अनहेल्दी आदत है।

आईसीएमआर-एनआईएन अध्ययन में भी यह बात सामने आई है कि 56 प्रतिशत बीमारियां गलत खाने की आदतों से होती हैं। यह प्रवृत्ति न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने के लिए भी महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करती है।

हेमलता ने कहा, “देश में बीमारियों के 56 प्रतिशत से अधिक मामले अनहेल्दी खाने की वजह से सामने आते हैं। शुरुआत उन मांओं के खान-पान से होती है जिनके गर्भ में बच्चा पल रहा होता है। गर्भवती प्रोसेस्ड फूड और चीनी का सेवन करती हैं, जिससे भ्रूण के विकास पर असर पड़ता है।”