कैंसर के उपचार में सहायक पौधे की कोशिकाएं की गई विकसित

आईआईटी मद्रास और आईआईटी मंडी ने एक खास पौधे की कोशिकाओं को मेटाबॉलिक रूप से इंजीनियर किया है। इस पौधे की कोशिका कैंसर (Cancer) के उपचार में विशेष सहायक है।

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  • Publish Date - December 29, 2023 / 10:10 AM IST

नई दिल्ली, 29 दिसम्बर (आईएएनएस)। आईआईटी मद्रास और आईआईटी मंडी ने एक खास पौधे की कोशिकाओं को मेटाबॉलिक रूप से इंजीनियर किया है। इस पौधे की कोशिका कैंसर (Cancer) के उपचार में विशेष सहायक है। इससे कैंसर की दवा का निर्माण होता है।

कैम्पटोथेसिन (सीपीटी) टोपोटेकेन और इरिनोटेकन जैसी उच्च मूल्य वाली दवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कैंसर रोधी दवा लीड अणु है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और सीपीटी निष्कर्षण के लिए किए गए व्यापक वनों की कटाई के संयोजन ने इन पौधों को लुप्तप्राय प्रजातियों की श्रेणी में धकेल दिया है।

शोधकर्ताओं ने कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाले कैम्पटोथेसिन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए अब नॉथापोडिट्स निमोनियाना के पौधों की कोशिकाओं को मेटाबोलिक रूप से इंजीनियर किया है। इसका उपयोग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है।

आईआईटी ने कहा कि यह कैंसर के उपचार की दवा के उत्पादन को एक बड़ा बढ़ावा दे सकता है क्योंकि कैंप्टोथेसिन, तीसरा सबसे अधिक मांग वाला अल्कलॉइड, भारत में व्यावसायिक रूप से नॉथापोडिट्स निमोनियाना से निकाला जाता है, जो एक लुप्तप्राय पौधा है।

आईआईटी मद्रास की प्लांट सेल टेक्नोलॉजी लैब के शोधकर्ताओं ने कम्प्यूटेशनल टूल का उपयोग कर एन. निमोनियाना प्लांट कोशिकाओं के लिए एक जीनोम-स्केल मेटाबोलिक मॉडल विकसित किया है। बाजार की मांग को पूरा करने के लिए व्यापक रूप से अत्यधिक कटाई के कारण इसके प्रमुख संयंत्र स्रोत अब लाल-सूचीबद्ध हैं। अकेले पिछले दशक में एन. निमोनियाना की आबादी में 20 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी गई है।

आईआईटी की इस रिसर्च परियोजना की प्रमुख अन्वेषक प्रोफेसर स्मिता श्रीवास्तव भूपत और ज्योति मेहता ने कहा, ”बायोप्रोसेस इंजीनियरिंग सिद्धांतों के साथ मेटाबॉलिक इंजीनियरिंग का एकीकरण, प्राकृतिक संसाधन के अलावा न्यूनतम समय और लागत में इसकी बढ़ती बाजार मांग को पूरा करने के लिए, कैंप्टोथेसिन के उन्नत और टिकाऊ उत्पादन को सुनिश्चित कर सकता है।”

अध्ययन के सह अन्वेषक प्रोफेसर कार्तिक रमन ने कहा, ”पौधों की कोशिकाओं की मॉडल-आधारित तर्कसंगत इंजीनियरिंग के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म तकनीक को कई अन्य उच्च-मूल्य वाले फाइटोकेमिकल्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भी अनुकूलित किया जा सकता है।”

आईआईटी के शोध पत्र के पहले लेखक, पीएचडी छात्र सरयू मुरली ने कहा, “घरेलू प्रयोगात्मक डेटा का उपयोग कर इस मॉडल का पुनर्निर्माण और क्यूरेट किया गया था। एन. निमोनियाना पादप कोशिकाओं में कैंप्टोथेसिन उत्पादन को अधिकतम करने के लिए ओवरएक्प्रेशन और डाउनरेगुलेशन के लिए उपयुक्त एंजाइम लक्ष्यों की पहचान और रैंक करने के लिए कम्प्यूटेशनल टूल का उपयोग किया गया था। हमने प्रयोगात्मक रूप से मॉडल द्वारा अनुमानित एक एंजाइम की अतिअभिव्यक्ति को मान्य किया, जिसके कारण अपरिवर्तित पौधे सेल लाइन की तुलना में एन निमोनियाना की 5 गुना उच्च कैंप्टोथेसिन-उपज देने वाली सेल लाइन का विकास हुआ।”

आईआईटी मद्रास ने कहा कि कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 2020 में लगभग 10 मिलियन मौतें हुईं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च-नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (आईसीएमआर-एनसीआरपी 2020) के अनुसार, भारत में 2025 तक मामलों की संख्या 15.7 लाख तक बढ़ने की उम्मीद है। हर दिन कैंसर की बढ़ती घटनाओं के साथ, कैंसर रोधी दवा के उत्पादन में वृद्धि की मांग बढ़ रही है।