लक्षणों से कई साल पहले शुरू हो जाता है रूमेटॉयड गठिया, 7 साल की स्टडी में बड़ा खुलासा

शोध में उन लोगों को ट्रैक किया गया जिनके खून में ACPA नाम के एंटीबॉडी मिले थे। ये एंटीबॉडी यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति रूमेटॉयड गठिया के खतरे में है या नहीं।

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  • Publish Date - September 29, 2025 / 12:52 PM IST

Rheumatoid Arthritis: रूमेटॉयड गठिया यानी रूमेटॉयड अर्थराइटिस (RA) एक ऐसी बीमारी है जो जोड़ों में दर्द और सूजन के रूप में नजर आती है, लेकिन नई रिसर्च से सामने आया है कि इसके लक्षण दिखने से कई साल पहले ही यह शरीर में असर डालना शुरू कर देती है।

अमेरिका के एलन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने सात साल तक चले एक अध्ययन में यह पाया कि यह बीमारी तब भी शरीर में सक्रिय रहती है, जब किसी को कोई लक्षण महसूस नहीं होते। यह स्टडी साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है।

शोध में उन लोगों को ट्रैक किया गया जिनके खून में ACPA नाम के एंटीबॉडी मिले थे। ये एंटीबॉडी यह संकेत देते हैं कि व्यक्ति रूमेटॉयड गठिया के खतरे में है या नहीं।

शोधकर्ताओं ने पाया कि बीमारी की शुरुआत में ही शरीर में सिर्फ जोड़ों में नहीं बल्कि पूरे शरीर में सूजन फैलने लगती है। इस दौरान इम्यून सेल्स के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला। जो इम्यून सेल्स आमतौर पर संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बनाती हैं, वही सेल्स सूजन बढ़ाने वाले एंटीबॉडी बनाने लगीं।

बी सेल्स और टी हेल्पर सेल्स (TFH17) की संख्या असामान्य रूप से बढ़ गई थी। इसके अलावा, कुछ ‘नेव’ टी सेल्स में डीएनए स्तर पर बदलाव पाए गए, जिसे एपिजेनेटिक बदलाव कहा जाता है।

शोध में यह भी पाया गया कि मोनोसाइट्स नाम की श्वेत रक्त कोशिकाएं शरीर में वैसे ही सूजन पैदा कर रही थीं जैसी RA मरीजों के जोड़ों में देखी जाती है। इसका मतलब है कि शरीर जोड़ों में नुकसान पहुंचाने के लिए पहले से ही अंदर ही अंदर तैयारी कर रहा था।

एलन इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता मार्क गिलेस्पी के मुताबिक, यह स्टडी डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए काफी मददगार साबित हो सकती है, क्योंकि इससे बीमारी को शुरुआती स्तर पर ही पकड़कर समय रहते इलाज की दिशा तय की जा सकती है।