भोपाल, (आईएएनएस)| मध्य प्रदेश की सरकार ने ट्रांसजेण्डर (transgender) को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है, इस फैसले के मुताबिक ट्रांसजेण्डर को पिछड़ा वर्ग का दर्जा मिल गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक हुई। इसमें ट्रांसजेण्डर को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग की सूची के क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में सम्मिलित किये जाने की स्वीकृति प्रदान की। इस तरह अब ट्रांसजेण्डर को सरकार की पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के अलावा इस वर्ग को दी जाने वाली सुविधाओं का भी लाभ मिलने लगेगा।
मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में मध्यप्रदेश राज्य मिलेट मिशन योजना लागू करने का निर्णय लिया। योजना का क्रियान्वयन संचालक, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास के माध्यम से सभी जिलों में किया जायेगा। योजना की अवधि दो वर्ष (2023-24 एवं वर्ष 2024-25) की होगी। इन दो वर्षों में योजना में 23 करोड़ 25 लाख रूपए व्यय किए जाएंगे। किसानों को मोटे अनाज के उन्नत प्रमाणित बीज सहकारी/शासकीय संस्थाओं से 80 प्रतिशत अनुदान पर प्रदान किए जाएंगे। योजना की मॉनिटरिंग के लिए कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति गठित की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मिलेट अनाज की फसलें कभी प्रदेश की खान-पान की संस्कृति के केंद्र में थी। वर्तमान में इन फसलों के पोषक महत्व को ²ष्टिगत रखते हुए इन्हें बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है। इन फसलों की खेती प्राय: कम उपजाऊ क्षेत्रों में की जाती है। वर्तमान में उपभोक्ताओं में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से मिलेट फसलों की मांग बढ़ रही है। कोदो, कुटकी, रागी, सांवा जैसी फसलें स्वास्थ्य की ²ष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं। इन मिलेट फसलों के महत्व के ²ष्टिगत इनको पोषक अनाज का दर्जा दिया गया है। इन फसलों के अनाज आयरन, कैल्शियम, फाइबर आदि से भरपूर होते हैं। साथ ही इनमें वसा का प्रतिशत भी कम होता है, जिससे हृदय रोगी एवं डायबिटीज रोगियों के द्वारा इनका उपयोग सुरक्षित पाया गया है। इसलिए किसानों के बीच मिलेट फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने एवं मिलेट फसलों से तैयार व्यंजनों का प्रचार-प्रसार किया जाना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश में कोदो-कुटकी, ज्वार एवं रागी के क्षेत्र विस्तार, उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि की पर्याप्त संभावनाएं हैं। साथ ही मिलेट फसलों के बढ़ते बाजार के ²ष्टिगत मूल्य संवर्धन की संभावना भी काफी अधिक है। प्रदेश में शासकीय कार्यक्रमों में जहां भोजन की व्यवस्था की जाती है, एक व्यंजन मोटे अनाज का भी रखा जायेगा। छात्रावास एवं मध्यान्ह भोजन में सप्ताह में एक दिन मोटे अनाज का उपयोग हो, इसकी व्यवस्था की जायेगी।