भोपाल 14 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में अपराधियों और ठगों के अपराध करने का नया तरीका डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) पुलिस के लिए नई चुनौती बन गया है। डेढ़ साल में इस तरह की 50 से अधिक वारदातें सामने आ चुकी हैं। पुलिस और सरकार आम लोगों को जागरूक करने में लगी है, इसके बावजूद ठग लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।
राज्य की राजधानी भोपाल में ही बीते चार दिनों में दो ऐसे मामले सामने आए हैं। एक मामला अरेरा कॉलोनी में रहने वाले कारोबारी विवेक ओबेरॉय से जुड़ा हुआ है। उन्हें छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया, लेकिन पड़ोसी की सजगता से वे ठगी से बच गए। इसी तरह मंगलवार की रात को टेलीकॉम कंपनी के इंजीनियर प्रमोद कुमार को भी साइबर अपराधियों द्वारा छह घंटों तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया और उन्हें भी पुलिस की मदद से ठगी से बचा लिया गया।
एडीशनल डीसीपी शैलेंद्र चौहान ने बताया है कि टेलीकाॅम कंपनी के इंजीनियर प्रमोद कुमार को फर्जी पुलिस अधिकारी बनकर फोन किया गया था। उन्हें छह घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया और साढ़े तीन लाख रुपये की मांग की गई थी। जिन नंबरों से फोन आए थे उनके संबंध में जानकारी जुटाई जा रही है।
राज्य में साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। डेढ़ साल में 50 से ज्यादा डिजिटल अरेस्ट की वारदातें हुई हैं। इन अपराधियों ने लगभग 17 करोड़ रुपये की ठगी की। हालांकि पुलिस की कोशिश से पांच करोड़ की राशि अब तक होल्ड पर है। इसका आशय है कि पीड़ितों को यह राशि वापस भी मिल सकती है और डेढ़ करोड़ रुपये तो पीड़ितों को लौटाए जा चुके हैं।
राज्य सरकार भी साइबर अपराध की बढ़ती वारदातों से चिंतित है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी लोगों से बगैर डरे और साहस से इनका मुकाबला करने की अपील की है। साथ ही राज्य के हर जिले में साइबर थाना प्रारंभ करने के साथ साइबर डेस्क स्थापित करने का वादा किया है। उन्होंने कहा है कि साइबर हेल्पलाइन 1930 को भी अधिक प्रभावी बनाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में व्यापक स्तर पर साइबर जागरूकता अभियान चला कर साइबर अपराध की रोकथाम के उपायों की जानकारी जन-जन को दी जाएगी।
साइबर शाखा से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल अरेस्ट का शिकार सबसे ज्यादा पढ़े लिखे और मोबाइल का ज्यादा उपयोग करने वाले बन रहे हैं। इसलिए उन्हें अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। इन मामलों में राज्य में अब तक 30 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है और अधिकांश आरोपी बिहार, राजस्थान तथा दक्षिण भारत के निवासी हैं।