राहुल गांधी शहडोल की रैली में किसान कर्जमाफी का जिक्र करना भूले

राहुल ने भाजपा पर आदिवासियों को 'वनवासी' कहने का आरोप लगाते हुए कहा, ''आदिवासी का मतलब, जो लोग इस देश में आदिकाल से यानी बहुत पहले से रहते आए और वे ही यहां के असली मालिक हैं।

  • Written By:
  • Publish Date - October 10, 2023 / 11:17 PM IST

शहडोल, 10 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में कांग्रेस की जीत का बड़ा आधार किसानों की कर्जमाफी का वादा रहा है और राज्य की कांग्रेस इकाई आगामी चुनाव में भी कर्जमाफी की गारंटी दे रही है, मगर शहडोल के ब्यौहारी में हुई विशाल जन आक्रोश रैली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसान कर्जमाफी का जिक्र तक नहीं किया।

राहुल गांधी ने कहा, ”हम प्रधानमंत्री मोदी की तरह झूठे वादे नहीं करते। हम वादे वही करते हैं जो पूरे किए जा सकें। मध्य प्रदेश में हर मां-बहन को 1500 रुपये प्रतिमाह देंगे, 500 रुपये में सिलेंडर देंगे, 100 यूनिट बिजली मुफ्त देंगे, आदिवासियों को तेंदूपत्ता की राशि 4000 देंगे।”

उन्‍होंने जातीय जनगणना कराने का वादा किया। साथ ही चार बड़ी गारंटियां लीं। इसके अलावा, कांग्रेस ने किसान कर्जमाफी और कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा किया है।

पिछले दिनों प्रियंका गांधी आई तो उन्होंने भी इन गारंटी का जिक्र किया, मगर राहुल गांधी किसान कर्जमाफी और ओपीएस का जिक्र करना तक भूल गए।

राहुल ने भाजपा पर आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहने का आरोप लगाते हुए कहा, ”आदिवासी का मतलब, जो लोग इस देश में आदिकाल से यानी बहुत पहले से रहते आए और वे ही यहां के असली मालिक हैं। आदिवासी का मतलब है जिनका जंगल, जल, जमीन पर सबसे पहला हक है। जबकि वनवासी का मतलब, जो वन में रहता है और उसका कोई हक नही है, यानी भाजपा नेता आप पर पेशाब कर सकता है, मतलब कोविड काल में आपको जानवरों से भी बदतर खाना दिया जाएगा, मतलब आपको जंगल में रहना चाहिए, मतलब आपके बच्चे इंजीनियर, वकील नहीं बन सकते, आपको आवास योजना का लाभ नहीं मिलेगा।”

कांग्रेस के सांसद ने कहा, ”हमारा मानना है कि आदिवासियों का जमीन पर सबसे पहला हक है, इसलिए हम पेसा कानून लाए, फॉरेस्ट राइट एक्ट लाए। पेसा कानून मतलब, अगर किसी को आपकी जमीन चाहिए तो हाथ जोड़कर ग्रामसभा से पूछना पड़ेगा, जबकि भाजपा का मानना है कि वनवासी का कोई हक नहीं।”