सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार को फटकार लगाई, OBC के 13% होल्ड पदों पर 6 साल में क्या किया? अंतिम सुनवाई 23 सितंबर को

ओबीसी महासभा के वकील वरुण ठाकुर के अनुसार, इस मामले में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के चयनित अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी, जिनकी नियुक्ति अब तक नहीं की गई है।

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  • Publish Date - August 12, 2025 / 05:38 PM IST

भोपाल: मध्यप्रदेश में सरकारी भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 13% होल्ड पदों पर बीते 6 सालों में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “क्या मध्यप्रदेश सरकार सो रही है? 6 साल में OBC के 13% होल्ड पदों पर क्या किया?”

MPPSC के चयनित अभ्यर्थियों ने लगाई याचिका
ओबीसी महासभा के वकील वरुण ठाकुर के अनुसार, इस मामले में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के चयनित अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी, जिनकी नियुक्ति अब तक नहीं की गई है। याचिका में कहा गया है कि 29 सितंबर 2022 को मध्यप्रदेश सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सरकार ने कोर्ट में कहा था कि हम ओबीसी को आरक्षण देना चाहते हैं और जो ऑर्डनेंस पर स्टे है, उसे समाप्त किया जाए।

कोर्ट ने MP सरकार के जनप्रतिनिधियों को सुनाया
सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि, “मध्यप्रदेश सरकार के जनप्रतिनिधि कहते हैं कि हम ओबीसी को 27% आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन उनके वकील सुनवाई में तब पहुंचते हैं, जब आदेश डिक्टेट हो चुका होता है। फिर ये नेता कहते हैं कि ऑर्डनेंस पर स्टे के कारण प्रशासनिक परेशानियां आ रही हैं।”

अगली सुनवाई 23 सितंबर को
इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसे अति महत्वपूर्ण मानते हुए टॉप प्रायोरिटी पर रखा है। अब इस मामले की अंतिम सुनवाई 23 सितंबर को होगी और यह सभी याचिकाओं पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

हाईकोर्ट का आदेश और ओबीसी महासभा की याचिका
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 4 मई 2022 को अंतरिम आदेश में ओबीसी आरक्षण की सीमा को 14% तक सीमित कर दिया था, जिससे यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। 5 अगस्त को हुई सुनवाई में ओबीसी महासभा ने कहा था कि परीक्षा पूरी होने के बाद भर्ती प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन नियुक्ति अब तक नहीं दी जा रही। महासभा ने छत्तीसगढ़ की तरह मध्यप्रदेश में भी राहत देने की मांग की थी।

अनारक्षित वर्ग के 50% से अधिक आरक्षण पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चांडुरकर की खंडपीठ के सामने इस मामले में अनारक्षित वर्ग के 50% से अधिक आरक्षण दिए जाने पर भी बहस हुई थी।