नई दिल्ली | 15 नवम्बर 2025: भारत की साहित्यिक दुनिया में आज एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ जब परम पावन 14वें दलाई लामा (Dalai Lama) की पहली मौलिक हिंदी जीवनी का विमोचन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में हुआ। वरिष्ठ पत्रकार और जीवनीकार डॉ. अरविंद यादव द्वारा लिखित यह कृति न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि तिब्बती इतिहास, दर्शन और करुणा के वैश्विक संदेश को हिंदी पाठकों के सामने प्रस्तुत करने वाला एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज भी है।
पद्म विभूषण डॉ. कर्ण सिंह ने पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया और प्रथम प्रति पद्म विभूषण डॉ. मुरली मनोहर जोशी को भेंट की। समारोह में तिब्बत हाउस, दिल्ली के निदेशक और दलाई लामा के प्रतिनिधि गेशे दोर्जी दामदुल भी उपस्थित थे।
सभागार में विद्वानों, राजनयिकों, शिक्षाविदों, बौद्ध साधकों, सामाजिक संगठनों, तथा दलाई लामा के प्रशंसकों की बड़ी संख्या मौजूद रही—जो यह दर्शाती है कि भारत में दलाई लामा के प्रति सम्मान और जिज्ञासा कितनी व्यापक है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. कर्ण सिंह ने पुस्तक को “भारतीय साहित्य और अंतरधार्मिक समझ में एक महत्वपूर्ण योगदान” बताया। उन्होंने कहा:
“दलाई लामा का जीवन केवल एक आध्यात्मिक नेता की कहानी नहीं, बल्कि शांति, करुणा और मानवीय मूल्यों का सार्वभौमिक संदेश है। 1956 में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा हमारे पहली बार मिलवाए जाने के बाद से हमारी घनिष्ठ मित्रता रही है। यह जीवनी उनके अद्वितीय व्यक्तित्व को समझने में नई रोशनी डालेगी।”
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा:
“अरविंद यादव ने पूरी जीवनी हिंदी में लिखकर अत्यंत साहस दिखाया है। वह कई वर्षों से इस कार्य में लगे थे और आज मुझे खुशी है कि यह पूरा हुआ। मैं चाहता हूं कि यह पुस्तक सभी हिंदी पुस्तकालयों तक पहुंचे ताकि लोग दलाई लामा के बारे में अधिक जान सकें। मैं उनकी दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं, और यह भी कि शांति, करुणा और अहिंसा का उनका संदेश पूरे भारत में फैलता रहे।”
डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने दलाई लामा के वैश्विक प्रभाव और आध्यात्मिक गहराई पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा:
“दलाई लामा ने अपनी सरल लेकिन गहन शिक्षाओं से दुनिया भर के नेताओं, विचारकों और युवाओं को प्रेरित किया है। यह जीवनी आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत मूल्यवान संसाधन है।”
तिब्बत के संघर्ष और चीन की नीतियों पर बोलते हुए उन्होंने कहा:
“दलाई लामा विभिन्न योग परंपराओं और अंतर-चेतनात्मक शक्तियों के ज्ञाता हैं। चीन की आक्रामक नीतियों ने न केवल उन्हें निर्वासन के लिए मजबूर किया, बल्कि तिब्बतियों पर अत्याचार कर उनकी सांस्कृतिक पहचान मिटाने का प्रयास भी किया। चीन की क्रूरता के कारण तिब्बती लोगों को अपना देश छोड़कर भारत के विभिन्न राज्यों में शरण लेनी पड़ी। भारत ने कभी किसी धर्म को नुकसान नहीं पहुंचाया, जबकि चीन धार्मिक आस्था रखने वालों को दबाता रहा है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तिब्बत एक दिन फिर उठ खड़ा होगा।”
समारोह के लिए भेजे गए विशेष संदेश में दलाई लामा ने कहा:
“तिब्बत में बिताए बचपन से लेकर निर्वासन तक की मेरी यात्रा को दर्ज कर, डॉ. यादव ने तिब्बत के लोगों की कहानी और हमारे अहिंसा व संवाद के संकल्प को संरक्षित किया है। उन्होंने मेरे द्वारा मानव मूल्यों, धार्मिक सद्भाव, तिब्बती संस्कृति, पर्यावरण और प्राचीन भारतीय ज्ञान पर आधारित कार्यों को भी उजागर किया है। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने 2022 में किया हुआ अपना वादा निभाया और तिब्बत की विरासत तथा संघर्ष पर यह पुस्तक तैयार की।”
Delhi: Author of the book ‘Anshwar: The Eternal,’ Arvind Yadav says, “Anshwar is the first authentic and comprehensive biography of the Dalai Lama written in Hindi. It reveals many facts for the first time that were never previously shared with the public. Numerous incidents are… pic.twitter.com/aAcngi9vV2
— IANS (@ians_india) November 15, 2025
यह जीवनी किसी भी भाषा से अनूदित नहीं, बल्कि मूल रूप से हिंदी में लिखी गई पहली व्यापक कृति है। इसमें वर्षों की शोध, तिब्बती स्रोतों, शिक्षाओं, ऐतिहासिक अभिलेखों और प्रत्यक्ष अनुभवों को सम्मिलित किया गया है। कई घटनाएं और अध्याय पहली बार किसी पुस्तक में उजागर हुए हैं—कुछ तो ऐसे हैं जो किसी दस्तावेज़ या अभिलेख में भी दर्ज नहीं थे।
दलाई लामा के तिब्बत में बचपन, भारत आगमन, वैश्विक यात्राओं, शांति अभियानों, वैज्ञानिक संवादों और मानवीय संदेशों को विस्तार से समेटते हुए यह जीवनी आधुनिक इतिहास और तिब्बती बौद्ध परंपरा का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज बनकर उभरती है।
जीवनी का अंग्रेजी, तेलुगू, तमिल, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, बंगाली और अन्य भारतीय भाषाओं में प्रकाशन भी जल्द होगा, जिससे दलाई लामा का संदेश पूरे देश में और व्यापक रूप से पहुंच सकेगा।