भारतीय अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी की ओर अग्रसर हैं ! 10 वर्षों में पैदा हुईं 12.5 करोड़ नौकरियां: हरदीप पुरी

एसबीआई की तरफ से नौकरियों को लेकर जारी आंकड़े पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को आईएएनएस के साथ खास

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  • Updated On - July 11, 2024 / 09:55 PM IST

नई दिल्ली, 11 जुलाई (आईएएनएस)। एसबीआई की तरफ से नौकरियों को लेकर जारी आंकड़े पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Natural Gas Minister Hardeep Singh Puri) ने गुरुवार को आईएएनएस के साथ खास बातचीत बात करते हुए कहा कि पिछले 10 साल के दौरान ही भारतीय अर्थव्यवस्था में 12.5 करोड़ (12.5 crore in Indian economy) नौकरियां पैदा हुई हैं। उससे पहले के 10 वर्षों में 2.9 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं।

उन्होंने आईएएनएस को बताया कि ये आंकड़े भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार किए गए हैं। उन्होंने उद्यम पोर्टल द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा लगभग 20 करोड़ का कुल रोजगार सृजन करने पर भी खुशी व्यक्त की।

उन्होंने कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तब से देश ग्यारहवीं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश से निकलकर पांचवीं सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था वाले देश की श्रेणी में पहुंच गया। इस दौरान अनेक सुधारों ने अर्थव्यवस्था को विभिन्न प्रकार के बंधनों से मुक्त कर दिया।

2004-2014 की अवधि में, यूपीए-1 और यूपीए-2 के तहत दस वर्षों में सिर्फ 8 प्रतिशत की वृद्धि रोजगार सृजन में देखी गई। दूसरी तरफ नीतिगत पंगुता, भ्रष्टाचार और घोटालों ने इस दशक में विकास की रफ्तार धीमी कर दी।

हरदीप पुरी ने कहा कि 2014-24 की अवधि में नौकरियों और रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी एक सराहनीय कदम है और उम्मीद जताई कि अगले कुछ वर्षों में इसी तरह की नौकरियों की संख्या सरकारी फर्मों में भी दिखाई देगी।

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। उन्होंने कौशल प्राप्त लोगों की कमी की तरफ भी ध्यान दिलाया और कहा कि यह चिंता का विषय है कि देश के ऐसे कौशल प्राप्त मानव संसाधन का उपयोग खाड़ी या यूरोपीय देशों की बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च प्रशिक्षित कर्मचारियों में से कई को इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा ऑफर किया जाता है, जिससे देश में ऐसे कर्मचारियों की कमी हो जाती है।

उन्होंने एलएंडटी के एक अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि इस कंपनी के पास लगभग 45,000 कौशल प्राप्त कुशल कामगारों की कमी थी और जिसकी वजह से परियोजनाओं के समय पर पूरा होने में दिक्कत आई।

मोदी 2.0 में केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री के रूप में अपने अनुभव को याद करते हुए हरदीप पुरी ने कहा कि वह कौशल प्राप्त कुशल और अर्ध-कुशल श्रमिकों को कैसे बनाए रखा जाए और प्रशिक्षित पेशेवरों के एक नए बैच को कैसे तैयार किया जाए, इसके लिए क्रेडा और अन्य संगठनों से जुड़े रहते थे।

उन्होंने याद करते हुए कहा, “जब आप कौशल प्राप्त कुशल श्रम के लिए विज्ञापन करते हैं, तो आपको न्यूनतम आवेदन मिलते हैं, लेकिन अकुशल श्रेणी में लाखों आवेदन होते हैं।”

पिछले 10 वर्षों में पैदा हुईं 12.5 करोड़ नौकरियां : हरदीप पुरी

एसबीआई की तरफ से देशभर में नौकरियों को लेकर एक डाटा जारी किया गया। जिसमें बताया गया है कि भारत ने वित्त वर्ष 2014-23 के दौरान 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा की, जबकि वित्त वर्ष 2004-14 के दौरान केवल 2.9 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं। इसको लेकर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत की। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को कहा कि पिछले 10 साल के दौरान ही भारतीय अर्थव्यवस्था में 12.5 करोड़ नौकरियां पैदा हुई हैं। उससे पहले के 10 वर्षों में 2.9 करोड़ नौकरियां पैदा हुईं। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि ये आंकड़े भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार की गई है। एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2014-23 में सृजित नौकरियों की संख्या 2004-14 के दौरान सृजित 2.9 करोड़ नौकरियों से 4 गुना से अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “भले ही हम कृषि को छोड़ दें, वित्त वर्ष 2014-23 के दौरान विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में सृजित नौकरियों की कुल संख्या 8.9 करोड़ रही, जो वित्त वर्ष 2004-2014 के दौरान 6.6 करोड़ थी।” उद्यम रजिस्ट्रेशन पोर्टल के आंकड़ों से पता चलता है कि एमएसएमई मंत्रालय के साथ पंजीकृत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा रिपोर्ट किया गया कुल रोजगार 20 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है। 4 जुलाई तक, 4.68 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई ने 20.19 करोड़ नौकरियों के आंकड़े दिए, जिसमें जीएसटी-मुक्त सूक्ष्म उद्यमों द्वारा दिए गए 2.32 करोड़ नौकरियां शामिल हैं। ईआरडी के डाटा की मानें तो पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 12.1 करोड़ नौकरियों का था। जिससे इस साल 66 प्रतिशत अधिक नौकरियां सृजित हुई हैं।