‘मोदी सरकार’ आतंक की जड़ों तक पहुंचकर चोट पहुंचाने वाला नेतृत्व : मनोज तिवारी

मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने गुरुवार को अपनी प्रतिक्रिया दी

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  • Updated On - April 10, 2025 / 07:49 PM IST

नई दिल्ली, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। मुंबई के 26/11 (Mumbai’s 26/11)आतंकी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी (BJP MP Manoj Tiwari)ने गुरुवार को अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि आतंक की जड़ों तक पहुंचकर चोट करने वाली सरकार का नाम ‘मोदी सरकार’ है।

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, “देश को नरेंद्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री मिला और उन्होंने दो-तीन मुख्य नीतियों पर देश को सकारात्मक दिशा में चलाने की कोशिश की है। जिसमें एक है, सरकार गरीबों के लिए समर्पित है। दूसरी जो प्रमुख लाइन है कि अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के लिए हमारी सरकार ने जीरो टॉलरेंस की नीति रखी है। 26/11 आतंकी हमले की घटना सोचकर भी मन दुखी और परेशान हो जाता है। इस घटना का मास्टरमाइंड अमेरिका में शरण लिए हुए था। भारत में प्रत्यर्पण की बहुत सारी कोशिश हुई। आज जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं तो पीएम मोदी के प्रयास से तहव्वुर राणा को भारत लाया जा सका है।”

उन्होंने आगे कहा, “ऐसे अपराधियों और मास्टरमाइंड को उसके किए की सजा देनी चाहिए। यह मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसके लिए पूरा देश पीएम मोदी को धन्यवाद दे रहा है।”

मनोज तिवारी ने कहा, “यह आतंक से जुड़ा हुआ केस था, जिसमें निर्दोष मारे गए थे। बाकी जो भारत के भगोड़े हैं, उन पर भी कड़ी कार्रवाई हो रही है। वो कहीं भी रहें, उनकी संपत्ति सीज हो रही है। सरकार की कोशिश है कि उन पर कानूनी रूप से जरूरी प्रक्रिया चले।”

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है।

लंबी कानूनी और कूटनीतिक कोशिशों के बाद राणा को भारत लाया जा सका है। अमेरिका के कोर्ट ने भारत में प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के उसके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उसे लाने का रास्ता साफ हो गया।

26 नवंबर 2008 की रात को 10 आतंकवादियों ने मुंबई में कई स्थानों पर एक साथ हमला किया था। 26/11 हमले में 164 लोग मारे गए और 300 से ज्यादा घायल हुए। आतंकवादियों ने भारतीयों और अन्य देशों के नागरिकों की हत्या की। मृतकों में इजरायल के चार नागरिक भी शामिल थे।

नौ आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। जबकि, एक अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया, जिसे बाद में फांसी की सजा हुई।

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