नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 22 दिसंबर 1992 को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसके बाद हर साल 17 अक्टूबर को विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस (poverty eradiction day) मनाए जाने की शुरुआत हुई। इसका प्रमुख उद्देश्य विकासशील देशों में गरीबी को समाप्त करना है। निर्धनता में जीवन-यापन कर रहे पूरी दुनिया के लोगों और व्यापक समाज के दुखों को लेकर सभी में समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के साथ यह दिवस हर साल बड़े स्तर पर मनाया जाता है।
हर साल 17 अक्टूबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस, गरीबी में रहने वाले लोगों और व्यापक समाज के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है। गरीबी को खत्म करना सिर्फ गरीबों की मदद करना नहीं है – बल्कि हर महिला और पुरुष को सम्मान के साथ जीने का मौका देना है।
गरीबी उन्मूलन दिवस के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस को 17 अक्टूबर को ही मनाए जाने के पीछे गरीबी हटाने को लेकर व्यापक तौर पर किए गए एक प्रयास को उजागर करना लक्ष्य है। संयुक्त राष्ट्र के यूनेस्को के अनुसार विश्व गरीबी उन्मूलन दिवस का इतिहास दरअसल 17 अक्टूबर 1987 की तारीख से सम्बन्धित है। यह वही तारीख है जिस दिन पेरिस के ट्रोकैडेरो में एक लाख से अधिक लोग एकत्रित हुए थे और वर्ष 1948 में किए गए मानवाधिकारों के सार्वभौमिक घोषणा के तहत अत्यधिक गरीबी, हिंसा और भूख के परेशान लोगों के लिए एक साथ आवाज उठाई थी। इन लोगों का द्वारा घोषणा की गई कि गरीबी मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
यूं तो यह दिन विश्व में 1993 से ही मनाया जा रहा है लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि विश्व में आज भी गरीबों की संख्या कम नहीं हुई बल्कि बढ़ी ही और गरीबी तो और भी ज्यादा बढ़ी है। भारत में भी गरीबी के हालात कुछ खास अच्छे नहीं हैं।