Premanand Maharaj: प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज पिछले 19 वर्षों से डायलिसिस पर हैं। वे साल 2006 से पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) से पीड़ित हैं। हाल ही में तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सप्ताह में 7 दिन डायलिसिस कराना पड़ रहा था। अब थोड़ा सुधार होने पर हफ्ते में 5 दिन डायलिसिस हो रही है। 2 अक्टूबर से उन्होंने पदयात्रा भी बंद कर दी है।
प्रेमानंद महाराज की ही तरह भारत और दुनिया में लाखों लोग डायलिसिस के जरिए किडनी फेल होने के बाद जीवन जी रहे हैं। आइए समझते हैं कि डायलिसिस क्या है, क्यों होती है और कैसे काम करती है।
यह एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें किडनी में छोटे-छोटे थैले (सिस्ट) बनते हैं। ये सिस्ट धीरे-धीरे किडनी के आकार को बढ़ा देते हैं और दबाव के कारण उसकी कार्यक्षमता खत्म हो जाती है। इससे हाई ब्लड प्रेशर और किडनी फेलियर का खतरा बढ़ जाता है।
किडनी का मुख्य काम खून से गंदगी और टॉक्सिन्स (जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन) को बाहर निकालना होता है। जब किडनी फेल हो जाती है, तो यह काम डायलिसिस द्वारा किया जाता है। यह प्रक्रिया खून को साफ करती है ताकि शरीर में जहर जमा न हो।
डायलिसिस की जरूरत तब होती है, जब किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर दे। इसकी मुख्य वजहें होती हैं:
डायबिटीज
हाई ब्लड प्रेशर
अनुवांशिक बीमारियां जैसे PKD
हाँ। डायलिसिस किडनी फेलियर की आखिरी स्टेज में किया जाता है। अगर समय पर डायलिसिस न किया जाए, तो खून में टॉक्सिन्स जमा होकर शरीर को अंदर से ज़हरीला बना सकते हैं, जिससे कुछ ही दिनों में मौत हो सकती है।
हीमोडायलिसिस (Hemodialysis) – सबसे आम तरीका।
पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal Dialysis) – खास परिस्थितियों में किया जाता है।
भारत में आमतौर पर हीमोडायलिसिस किया जाता है, जिसमें एक मशीन खून को शरीर से निकालकर साफ करती है और फिर वापस शरीर में डाल देती है। यह प्रक्रिया आमतौर पर हफ्ते में 3 बार की जाती है।
प्रेमानंद महाराज को हफ्ते में 5 बार हीमोडायलिसिस करनी पड़ती है, और उनके आश्रम में इसकी व्यवस्था है।
हां, सही इलाज और जीवनशैली से डायलिसिस पर भी लोग 10-20 साल या उससे ज्यादा समय तक जीवित रह सकते हैं। हालांकि, यह काफी महंगा और थकाऊ इलाज होता है। किडनी ट्रांसप्लांट इसके लिए एक विकल्प हो सकता है।
दुनियाभर में करीब 20 लाख से ज्यादा लोग डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट से इलाज करवा रहे हैं। यह अब एक सामान्य इलाज बन चुका है।