राजस्थान विधानसभा के सचिव ने हाईकोर्ट से कहा, 81 विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे

By : madhukar dubey, Last Updated : January 30, 2023 | 11:25 pm

जयपुर, 30 जनवरी (आईएएनएस)| (Rajasthan Legislative Assembly) राजस्थान विधानसभा के सचिव ने सोमवार को हाईकोर्ट (High Court) को बताया कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के 81 विधायकों ने पिछले साल 25 सितंबर को जो इस्तीफे सौंपे थे वे स्वैच्छिक नहीं थे, इसलिए उन्हें मंजूर नहीं किया गया था। मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल की पीठ विपक्ष के उपनेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। विधानसभा सचिव ने एक हलफनामा दाखिल कर जवाब दिया है।

विधानसभा के सचिव महावीर प्रसाद शर्मा की ओर से पेश सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दलीलें पेश कीं। सुनवाई के दौरान प्रदेश के महाधिवक्ता भी पेश हुए।

अगली सुनवाई 13 फरवरी को होनी है। विधानसभा सचिव के हलफनामे में स्पीकर को सौंपे गए इस्तीफे से लेकर इस्तीफे वापस लेने तक पूरी फाइल नोटिंग का हवाला देते हुए मामले का पूरा विवरण पेश करने की मांग की गई है।

इस्तीफे स्वीकार नहीं करने के अपने कारणों पर अध्यक्ष ने कहा, “सभी विधायकों ने अलग से मेरे सामने पेश होकर स्वेच्छा से इस्तीफा वापस लेने का आवेदन दिया है। आवेदनों में स्पष्ट उल्लेख है कि उनके द्वारा पूर्व में दिए गए इस्तीफे स्वैच्छिक नहीं थे। राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 173(4) के तहत विधायकों ने स्वेच्छा से अपना इस्तीफा वापस ले लिया है। यह 10वीं अनुसूची का मामला नहीं है, बल्कि मंत्रियों और विधायकों के इस्तीफे का मामला है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट का चार सप्ताह में आया फैसला इन पर लागू नहीं होता।”

25 सितंबर को संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल, सरकार के मुख्य सचेतक महेश जोशी, उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी, राजस्व मंत्री रामलाल जाट, कांग्रेस विधायक रफीक खान और निर्दलीय विधायक व मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा ने विधानसभा अध्यक्ष के सामने 81 विधायकों के इस्तीफे लिए थे।

पांच विधायकों ने इस्तीफे की फोटोकॉपी पेश की थी। इनमें चेतन डूडी, दानिश अबरार और निर्दलीय सुरेश टाक शामिल हैं, जो पहले पायलट खेमे से थे और गहलोत समर्थक अमित चाचन (नोहर, हनुमानगढ़) और गोपाल मीणा (जमुआ रामगढ़, जयपुर) ने भी इस्तीफे की फोटोकॉपी दी थी।

विधानसभा सचिव की ओर से पेश जवाब में कहा गया है कि विधानसभा के सदस्यों की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 173(3) के अनुसार इस्तीफे तब तक स्वीकार नहीं किए जाएंगे, जब तक यह प्रस्ताव नहीं दिया जाता कि उन्होंने स्वैच्छिक और वास्तविक रूप से इस्तीफा दिया है। लंबे समय तक इस्तीफों पर फैसला नहीं होने के बाद भी स्पीकर ने माना कि हर विधायक ने अलग-अलग इस्तीफा नहीं दिया है, बल्कि इस्तीफे सामूहिक रूप से पेश किए गए।

20 दिसंबर 2022 को 24 विधायकों ने, 31 दिसंबर को 38 ने और 1 जनवरी 2023 को 15 विधायकों ने स्पीकर के सामने पेश होकर अपना इस्तीफा वापस ले लिया। 2 जनवरी को दो और विधायकों ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, उसके बाद 3 जनवरी को लोढ़ा ने, और 10 जनवरी को कांग्रेस सदस्य वाजिब अली ने इस्तीफा दिया था।