Jagdeep Dhankar का अचानक इस्तीफा: क्या कारण था उनकी शॉक एग्जिट?

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा विपक्षी प्रस्ताव और केंद्र के फोन कॉल के बाद आया। जानिए इसकी वजह।

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  • Updated On - July 22, 2025 / 12:15 PM IST

नई दिल्ली: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) का इस्तीफा सभी को चौंका गया। यह इस्तीफा एक विपक्षी समर्थित प्रस्ताव के बाद आया, जिसमें एक न्यायाधीश को हटाने की मांग की गई थी, क्योंकि उनके घर से भारी नकदी बरामद हुई थी। इस प्रस्ताव ने कई घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू की, जो अंततः उनके अचानक इस्तीफे की ओर ले गई।

प्रारंभिक कारण: न्यायाधीश के खिलाफ विपक्षी प्रस्ताव

सभी घटनाओं की शुरुआत उस प्रस्ताव से हुई, जिसे विपक्षी नेताओं ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए पेश किया था। न्यायमूर्ति वर्मा के आधिकारिक आवास से बड़ी राशि की नकदी बरामद होने के बाद यह मुद्दा सामने आया था। यह प्रस्ताव संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया गया था, जहां उप राष्ट्रपति धनखड़, जो राज्य सभा के अध्यक्ष भी हैं, ने नोटिस को स्वीकार किया।

केंद्र की प्रतिक्रिया: फोन कॉल और तकरार

हालांकि, यह कदम केंद्र सरकार को पसंद नहीं आया। केंद्र से उप राष्ट्रपति को एक फोन कॉल किया गया, जिसके बाद दोनों के बीच एक तकरार हुई। धनखड़ ((Jagdeep Dhankar)) ने अपने निर्णय को सही ठहराया और यहां तक कि अपने पद की शक्तियों का हवाला भी दिया। यह विवादित वार्ता उस तनाव की शुरुआत थी, जो बाद में बढ़ी।

निराशा के कारण न-विश्वास प्रस्ताव का खतरा

फोन पर हुई इस तकरार के बाद, सूत्रों के मुताबिक, एक न-विश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा शुरू हुई। छह महीने पहले विपक्ष ने उप राष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा ही प्रस्ताव लाया था, लेकिन इस बार धनखड़ ने इस्तीफा देने का विकल्प चुना, ताकि और अधिक अपमान से बच सकें।

आधिकारिक इस्तीफा: स्वास्थ्य कारणों का हवाला

कल रात 9:25 बजे, उप राष्ट्रपति ((Jagdeep Dhankar)) के आधिकारिक X हैंडल से एक इस्तीफा पत्र जारी किया गया, जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित था। इसमें कहा गया, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह के अनुसार, मैं तत्काल प्रभाव से उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।”

संसदीय चर्चाएँ और उप राष्ट्रपति (Jagdeep Dhankar) का असमंजस

इस इस्तीफे ने राजनीति के गलियारों में हलचल मचा दी। कई सिद्धांतों के बाद, एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई कि उप राष्ट्रपति के द्वारा कोई विदाई भाषण नहीं दिया जाएगा, और यह भी “स्वास्थ्य कारणों” से हो सकता है। कांग्रेस नेताओं ने इसे “अव्याख्येय” और “रहस्यमयी” कहा।

नड्डा और किजू की अनुपस्थिति पर सवाल

विपक्षी नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि क्यों भाजपा के नेता जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू 4:30 बजे के बिजनेस एडवाइजरी समिति की बैठक में उपस्थित नहीं थे। इसके कारण उप राष्ट्रपति ने इस पर नाराजगी व्यक्त की।

नड्डा का स्पष्टीकरण:
जेपी नड्डा ने इन आरोपों को खारिज किया और कहा, “हमारे पास पहले से अन्य महत्वपूर्ण कार्य थे, इसलिए हम बैठक में नहीं उपस्थित हो सके।”

कांग्रेस का बयान:
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “केवल उप राष्ट्रपति या सरकार को उनके इस्तीफे के कारण के बारे में जानकारी है। हम इस पर कुछ नहीं कह सकते।”

उप राष्ट्रपति का भविष्य: क्या अब होगा कोई बदलाव?

उप राष्ट्रपति ने 10 दिन पहले ही कहा था कि वह अगस्त 2027 में, “दिव्य हस्तक्षेप के आधार पर”, इस्तीफा देंगे। अब, उनकी अचानक इस्तीफे की घटनाओं ने कई सवालों को जन्म दिया है।

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