भारत में दुनिया के 60 फीसदी से ज्यादा हाथी, संरक्षण के लिए भारत सरकार 1991-92 में शुरू किया ‘प्रोजेक्ट ई’

दुनिया में हाथियों की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें से अफ्रीका में दो और एशिया में एक है। भारत के सबसे बड़े स्थलीय स्तनपायी होने का तमगा एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) को प्राप्त है।

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  • Updated On - August 12, 2024 / 12:52 PM IST

नई दिल्ली, 12 अगस्त (आईएएनएस)। अकेले भारत (India) में दुनियाभर के 60 फीसदी से ज्यादा हाथी पाए जाते हैं। हाथियों के संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा 1991-92 में ‘प्रोजेक्ट ई’ की शुरुआत की गई थी।

प्रत्येक वर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य हाथियों की रक्षा करना और इस जीव को होने वाली दिक्कतों के प्रति लोगों को जागरूक करना है।

भारत विविधतापूर्ण संस्कृति और प्राकृतिक संसाधनों का खजाना माना जाता रहा है। यही कारण है कि भारतीय संस्कृति के मिथकों और पौराणिक कथाओं में पशु-पक्षियों को एक खास स्थान दिया गया है। कई वन्यजीव भारतीय देवताओं से जुड़े हुए हैं, जिसमें सबसे अच्छा उदाहरण हाथी का है, इस विशालकाय वन्यजीव का जुड़ाव भगवान गणेश से माना जाता है। भगवान गणेश की पूजा अक्सर शुभ चीजों की शुरुआत में की जाती है।

जंगलों के पारिस्थितिकी तंत्र में हाथियों का अपना खास महत्व है। जलवायु परिवर्तन की प्रतिकूलता को बचाने और वन पर्यावरण को आकार देने में हाथियों की केंद्रीय भूमिका होती है, यही वजह है कि इन्हें पारिस्थितिक तंत्र का इंजीनियर भी कहा जाता है।

दुनिया में हाथियों की तीन प्रजातियां पाई जाती हैं, उनमें से अफ्रीका में दो और एशिया में एक है। भारत के सबसे बड़े स्थलीय स्तनपायी होने का तमगा एशियाई हाथी (एलिफस मैक्सिमस) को प्राप्त है।

‘मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट, फॉरेस्ट और क्लाइमेट’ चेंज के अनुसार भारत में दुनिया के 60% से ज़्यादा जंगली हाथी रहते हैं। भारत में, एशियाई हाथी मुख्य रूप से दक्षिणी और उत्तरी-पूर्वी भारत, पूर्व-मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

हाथी को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित किया गया है। इस वन्यजीव अहमियत को समझते हुए ही, भारत सरकार ने 1991-92 में, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ की शुरुआत की थी।

‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ का मुख्य उद्देश्य हाथियों, उनके आवासों और गलियारों की सुरक्षा और मानव-पशु संघर्ष के मुद्दे को समझना और भारत के हाथी रेंज राज्यों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना था। इसमें बंदी हाथियों का कल्याण भी जुड़ा था।

खास बात ये है कि ‘प्रोजेक्ट एलीफेंट’ के तहत उन देशों को भी वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है जहां हाथियों का निवास है। देश के 22 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में हाथी बचाव केंद्र स्थापित किए गए हैं।

‘प्रोजेक्ट ई’ के अंतर्गत पिछली बार साल 2017 में भारत में हाथियों की गणना की गई थी, जिसके अनुसार देश में जंगली हाथियों की संख्या 29,964 बताई गई।