रांची, 17 जून (आईएएनएस)। झारखंड में अक्टूबर-नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। राज्य में चुनाव प्रभारी के तौर पर केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Union Minister Shivraj Singh Chauhan) और सह प्रभारी के रूप में असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की तैनाती इस दिशा में पहला कदम है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को इनकी नियुक्ति की सूचना जारी की।
ऐसे में विधानसभा के चुनाव में जीत की राह तैयार करने के लिए पार्टी को कई कील-कांटे दूर करने पड़ेंगे। यही वजह है कि इस बार चुनावी जंग का ‘सेनापतित्व’ शिवराज सिंह चौहान और हिमंता बिस्वा सरमा जैसे अचूक रणनीतिकारों को सौंपा गया है। एमपी में भाजपा को चार बार सत्ता दिलाने और हाल के लोकसभा चुनाव में वहां की सभी सीटों पर पार्टी की जीत में शिवराज सिंह चौहान का किरदार बेहद अहम रहा है।
भाजपा के सियासी रोडमैप पर झारखंड बेहद अहम प्रदेश है। झारखंड की सीमाएं जिन पांच राज्यों के साथ लगती हैं, उनमें पश्चिम बंगाल को छोड़ बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और यूपी में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। छत्तीसगढ़ के बाद ओडिशा में आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने आदिवासी बहुल झारखंड के लिए एक बड़ा संदेश दिया है। झारखंड की सत्ता में भाजपा पांच साल के बाद वापसी कर लेती है तो पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए किलेबंदी आसान हो जाएगी।
भाजपा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी इन दोनों नेताओं की चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी के तौर पर नियुक्ति से उत्साहित हैं। वह कहते हैं, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि इन दोनों नेताओं के संयुक्त मार्गदर्शन में भारतीय जनता पार्टी झारखंड में मजबूत सरकार का गठन कर राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता को कांग्रेस-झामुमो के भ्रष्टाचार और कुशासन से मुक्ति दिलाएगी।”
झारखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने भी इन दोनों नेताओं को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए एक्स पर लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आपके नेतृत्व में भाजपा झारखंड को लूट, झूठ और भ्रष्ट झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार से आजाद कराएगी।”