कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड को लेकर केंद्र पर साधा निशाना, दावा- ‘पार्टी ने सात साल तक लड़ी लड़ाई’

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विवादास्पद चुनावी बॉन्ड को रद्द (Electoral bonds canceled) कर दिया है। कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत किया है।

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  • Updated On - February 15, 2024 / 04:44 PM IST

नई दिल्ली, 15 फरवरी (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को विवादास्पद चुनावी बॉन्ड को रद्द (Electoral bonds canceled) कर दिया है। कांग्रेस ने इस फैसले का स्वागत किया है। उसने कहा कि आज का फैसला ‘असंवैधानिक और गैरकानूनी’ योजना के खिलाफ पार्टी की लंबी लड़ाई की पुष्टि करता है, जिसे एनडीए सरकार चुनावी लाभ के लिए अपने खजाने को भरने के लिए लाई थी।

  • कांग्रेस ने एक प्रेस बयान में संसद के अंदर और बाहर ‘दमनकारी और कॉर्पोरेट-कृत’ योजना के खिलाफ अपनी सात साल की लंबी लड़ाई के बारे में बताया और कहा कि वह स्पष्ट शब्दों में बॉन्ड योजना की निंदा करने वाली पहली पार्टी थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया, ”नरेंद्र मोदी की भ्रष्ट नीतियों का एक और सबूत आपके सामने है। भाजपा ने चुनावी बॉन्ड को रिश्वत और कमीशन लेने का माध्यम बना दिया था। आज इस बात पर मुहर लग गई।”
  • कांग्रेस संचार प्रभारी जयराम रमेश (Congress communication in-charge Jairam Ramesh) ने भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब ‘वोट को दोबारा नोट से ज्यादा शक्तिशाली बनाएगा’।

उन्होंनेे अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, ”सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की बहुप्रचारित चुनावी बॉन्ड योजना को संसद द्वारा पारित कानूनों और संविधान दोनों का उल्लंघन माना है। लंबे समय से प्रतीक्षित फैसला बेहद स्वागत योग्य है।”

कांग्रेस ने आगे कहा कि जब 2 जनवरी 2018 को चुनावी बॉन्ड योजना को अधिसूचित किया गया था, तो सबसे पुरानी पार्टी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इसके कई अन्य ‘हानिकारक’ पहलुओं पर लाल झंडी दिखाने के अलावा तीन विशिष्ट चिंताएं उठाई थीं।

उसने कहा था कि चुनावी बॉन्ड उन चीज़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण प्रवर्तक बन जाएंगे जिन्हें एहसान उतारने के लिए सौदे के रूप में जाना जाता है। कॉरपोरेट्स से राजनीतिक फंडिंग पर लगी सीमा हटने से, चुनावी बॉन्ड से संदिग्ध फंडिंग को पनपने का मौका मिलेगा। पहचान गुप्त रखने का तर्क जानबूझकर गुमराह करने के लिए तैयार किया गया था।

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