भोपाल, 6 जून (आईएएनएस)| मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव (vidhan sabha elections) में कांग्रेस की अपने सबसे कमजोर इलाकों में से एक बुंदेलखंड क्षेत्र पर खास नजर है। यही कारण है कि पार्टी के तमाम नेताओं की सक्रियता इस इलाके में बढ़ रही है। बुंदेलखंड राज्य का वह इलाका है, जिसमें विधानसभा की 230 सीटों में से 29 सीटें आती है। इस समय इनमें से 19 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। आठ स्थानों पर कांग्रेस के विधायक हैं और सपा-बसपा के पास एक-एक सीट है। कुल मिलाकर कांग्रेस के मुकाबले भाजपा मजबूत स्थिति में है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में कभी कांग्रेस के पास कद्दावर नेता के तौर पर सत्यव्रत चतुर्वेदी हुआ करते थे, मगर वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने राजनीति से पूरी तरह किनारा कर लिया है। इस क्षेत्र में फिलहाल कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। दूसरी ओर, इस इलाके से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सांसद हैं तो प्रह्लाद पटेल मोदी सरकार में मंत्री हैं। उमा भारती भी इसी क्षेत्र से आती हैं। इसके अलावा, शिवराज सरकार में पांच प्रमुख मंत्री इस इलाके से आते हैं।
कांग्रेस इस इलाके में आगामी चुनाव में बढ़त हासिल करना चाहती है, लिहाजा उसके नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह उन इलाकों का दौरा कर गए हैं, जिन सीटों पर कांग्रेस कई बार से हार रही है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद भी किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव भी इस क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। यादव पिछड़े वर्ग का बड़ा चेहरा हैं और उनके समर्थकों की संख्या भी इस इलाके में काफी है। इस इलाके का बीते एक माह में दो बार दौर कर चुके हैं और इस दौरान उन्होंने तमाम नेताओं के साथ बैठने की, सभाएं की और संवाद भी किया।
मध्यप्रदेश के हिस्से में बुंदेलखंड क्षेत्र के सात जिले आते हैं : सागर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी, छतरपुर और दतिया। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जब कांग्रेस सत्ता के करीब पहुंच गई थी, तब भी उसे इस इलाके में ज्यादा सफलता नहीं मिली थी। यही वजह है कि अगले चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करने के लिए इस क्षेत्र पर कांग्रेस की खास नजर है।