गुवाहाटी, 26 मई: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ को लेकर बांग्लादेश को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर स्पष्ट शब्दों में लिखा कि जो लोग भारत को उसके ‘चिकन नेक’ को लेकर धमकाते हैं, उन्हें यह जानना चाहिए कि स्वयं बांग्लादेश के पास दो अत्यंत असुरक्षित और संकीर्ण भू-भाग हैं, जिन्हें ‘चिकन नेक’ कहा जा सकता है।
मुख्यमंत्री सरमा के अनुसार, बांग्लादेश की पहली ऐसी संकरी पट्टी उत्तर बांग्लादेश कॉरिडोर है, जिसकी लंबाई लगभग 80 किलोमीटर है। यह दक्षण दिनाजपुर से शुरू होकर दक्षिण-पश्चिम गारो हिल्स तक फैली है। यहां यदि कोई बाधा उत्पन्न हो जाए, तो पूरा रंगपुर डिवीजन बाकी बांग्लादेश से कट सकता है।
दूसरी असुरक्षित पट्टी 28 किलोमीटर लंबा चटगांव कॉरिडोर है, जो दक्षिण त्रिपुरा से लेकर बंगाल की खाड़ी तक फैला है। सरमा ने कहा कि भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर से भी छोटा यह गलियारा बांग्लादेश की आर्थिक राजधानी और राजनीतिक राजधानी के बीच एकमात्र संपर्क मार्ग है।
मुख्यमंत्री सरमा का यह बयान बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के हालिया बयान के जवाब में आया है, जो उन्होंने चीन दौरे के दौरान दिया था। यूनुस ने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य चारों ओर से भूमि से घिरे हुए हैं और उनका समुद्र तक कोई सीधा संपर्क नहीं है, इसीलिए बांग्लादेश बंगाल की खाड़ी का एकमात्र संरक्षक है। उन्होंने इस क्षेत्र में चीन के आर्थिक प्रभाव बढ़ाने की बात भी कही थी। भारत ने इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी।
Himanta Biswa x account
क्या है भारत का ‘चिकन नेक’?
भारत के लिए ‘चिकन नेक’ या सिलीगुड़ी कॉरिडोर सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक संकीर्ण भू-भाग है जिसकी चौड़ाई मात्र 22 से 25 किलोमीटर के बीच है। यह पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों में स्थित है और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों—असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा तथा सिक्किम—को देश की मुख्यभूमि से जोड़ने वाला एकमात्र मार्ग है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और भारतीय रेलवे की मुख्य लाइनें इसी गलियारे से होकर गुजरती हैं, जो पूर्वोत्तर भारत की जीवनरेखा मानी जाती हैं। यही नहीं, इस क्षेत्र की सामरिक स्थिति इसे भारत की सुरक्षा नीति का अहम हिस्सा बनाती है। पूर्वोत्तर भारत के तेल, चाय, और पर्यटन उद्योग इसी कॉरिडोर पर निर्भर करते हैं।
भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति में सिलीगुड़ी कॉरिडोर सैन्य आपूर्ति, सैनिकों की तैनाती और रसद परिवहन के लिए अत्यंत आवश्यक बन जाता है। इसकी सीमित चौड़ाई इसे सैन्य, प्राकृतिक आपदाओं और दुश्मन के हमले के प्रति संवेदनशील बनाती है। अगर यह गलियारा बाधित हो जाए, तो पूर्वोत्तर भारत देश की मुख्यभूमि से कट सकता है।
मुख्यमंत्री सरमा की यह चेतावनी स्पष्ट संकेत है कि भारत केवल अपनी सुरक्षा के प्रति सतर्क ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
