जातिगत जनगणना को लेकर खरगे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, दिए तीन अहम सुझाव, सभी दलों से संवाद की अपील

By : dineshakula, Last Updated : May 6, 2025 | 11:40 am

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjuna Kharge) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जातिगत जनगणना पर गंभीर विचार के लिए एक विस्तृत पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने न केवल पहले भेजे गए पत्र की याद दिलाई, बल्कि तीन ठोस सुझाव भी रखे हैं ताकि जातिगत आंकड़ों को इकट्ठा करने की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और प्रभावशाली हो सके।

खड़गे ने लिखा कि 16 अप्रैल 2023 को उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पीएम को पत्र भेजा था, लेकिन उसे अब तक कोई उत्तर नहीं मिला। इसके उलट, बीजेपी के नेताओं और स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस पर इस मांग को उठाने को लेकर आलोचना की गई। अब जब खुद प्रधानमंत्री इस विषय को सामाजिक न्याय से जोड़ रहे हैं, तो खड़गे ने इसे एक सकारात्मक मोड़ बताते हुए रचनात्मक सुझाव दिए हैं।

खड़गे के तीन मुख्य सुझाव:

  1. प्रश्नावली का स्वरूप हो वैज्ञानिक और उद्देश्यपरक
    खड़गे ने कहा कि जाति संबंधी जानकारी केवल गिनती भर नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे सामाजिक और आर्थिक नीति निर्धारण के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि जनगणना में इस्तेमाल होने वाले प्रश्नों और ढांचे को तेलंगाना मॉडल के अनुसार तैयार किया जाए, जहां हाल ही में प्रभावशाली जाति आधारित सर्वेक्षण किया गया है।

  2. सभी राज्यों के आरक्षण कानून संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल हों
    उन्होंने तमिलनाडु के उदाहरण का ज़िक्र करते हुए कहा कि वहां 1994 में बनाए गए आरक्षण अधिनियम को संविधान की नवीं सूची में शामिल किया गया था। इसी तर्ज पर देश के बाकी राज्यों के आरक्षण कानूनों को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए। साथ ही, जातिगत आंकड़ों के आधार पर 50% आरक्षण सीमा हटाने की दिशा में संविधान संशोधन किया जाना चाहिए।

  3. अनुच्छेद 15(5) के तहत शिक्षा में आरक्षण को मजबूती मिले
    खड़गे ने निजी शिक्षण संस्थानों में ओबीसी, एससी और एसटी के लिए आरक्षण को कानूनी आधार देने वाले अनुच्छेद 15(5) का हवाला देते हुए कहा कि इस प्रावधान को लागू करने के लिए संसद को नया कानून बनाना चाहिए। संसदीय समिति की हालिया रिपोर्ट ने भी इसी बात की सिफारिश की है।

जातिगत जनगणना को राष्ट्रीय एकता से जोड़ा

अपने पत्र के अंत में खड़गे ने स्पष्ट किया कि जाति जनगणना को समाज को तोड़ने वाला कदम नहीं माना जाना चाहिए। बल्कि, यह पिछड़े वर्गों और वंचित समुदायों को अधिकार दिलाने की दिशा में एक ज़रूरी पहल है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से इस विषय पर खुला संवाद करने की अपील की और कहा कि जब देश हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले जैसी घटनाओं पर एकजुट हो सकता है, तो सामाजिक न्याय के विषय पर भी एक राय बन सकती है।

खड़गे ने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री उनके सुझावों पर गंभीरता से विचार करेंगे और जल्द ही इस मुद्दे पर सर्वदलीय चर्चा का आयोजन करेंगे।