बिहार में फिर खेल गए लालू? कांग्रेस को सीटों से किया किनारा

उन्होंने कहा कि इस बार भी कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने हैं, जिससे यह साफ है कि महागठबंधन में कोई समन्वय नहीं है।

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  • Publish Date - October 21, 2025 / 10:28 PM IST

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly) से पहले सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में घमासान मचा है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) प्रमुख लालू यादव ने एक बार फिर कांग्रेस के साथ वही पुराना खेल दोहराया है। आरजेडी ने इस बार गठबंधन में शामिल दलों को किनारे करते हुए खुद 143 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं, जबकि कांग्रेस को केवल 61 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। पिछले चुनाव यानी 2020 में कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लालू यादव नहीं चाहते कि कांग्रेस बिहार में मजबूत हो। जदयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने इसे लेकर सीधा आरोप लगाते हुए कहा, “मैं आजीवन कांग्रेसी था, लेकिन पार्टी छोड़ दी क्योंकि लालू यादव कांग्रेस के प्रति कभी ईमानदार नहीं रहे। वह नहीं चाहते कि कांग्रेस को उसका वाजिब हक मिले।”

उन्होंने कहा कि इस बार भी कई सीटों पर कांग्रेस और आरजेडी आमने-सामने हैं, जिससे यह साफ है कि महागठबंधन में कोई समन्वय नहीं है। अशोक चौधरी का मानना है कि अगर कांग्रेस ने आरजेडी के पीछे समय देने की बजाय खुद को मजबूत करने में उतना समय लगाया होता, तो स्थिति कुछ और होती।

इस मुद्दे पर जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव ने भी कांग्रेस को आत्ममंथन की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि “महागठबंधन की जिम्मेदारी जिनके पास थी, उन्होंने तालमेल नहीं बैठाया। सीटों के बंटवारे ने कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा किया है और जमीनी स्तर पर मनोबल कमजोर हुआ है। अब कांग्रेस को यह सोचना होगा कि वह जनभावनाओं के अनुरूप काम कर रही है या सिर्फ सत्ता की राजनीति में उलझी है।”

गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में भी लालू यादव ने कांग्रेस को शहरी सीटें देकर रणनीतिक चाल चली थी। ये वे सीटें थीं, जहां बीजेपी की पकड़ पहले से मजबूत थी। कांग्रेस ने इन पर नाराजगी जताई थी, लेकिन लालू यादव ने उनकी बात नहीं मानी। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस महज 19 सीटें जीत पाई, जबकि आरजेडी ने अपने चुने हुए क्षेत्रों में 75 सीटों पर कब्जा जमाया।

इस बार भी कुछ वैसा ही नजर आ रहा है, जहां कांग्रेस को सीमित कर, आरजेडी खुद को आगे रखने की रणनीति में जुट गई है।