मुंबई, 3 जून (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha) के नतीजे की घोषणा से एक दिन पहले विधायक रवि राणा ने अपने दावे से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल ला दी है। उन्होंने बयान जारी कर कहा कि महज 15 दिन के अंदर शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे।
अगर राणा का यह दावा सच निकला, तो यह ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा, क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में ‘इंडिया’ गठबंधन को मजबूती प्रदान करने में उद्धव ठाकरे की पार्टी ने अहम भूमिका निभाई है।
वहीं, हाल ही में लोकसभा चुनाव के नतीजे को लेकर सामने आए एग्जिट पोल में महाराष्ट्र में शिवसेना (यूबीटी) को बढ़त की स्थिति में दिखाया गया है। उसे 14-20 सीटें आने का अनुमान है। प्रदेश में लोकसभा की कुल सीटें 48 हैं। एग्जिट पोल के सामने आने के बाद राणा के इस दावे ने महाराष्ट्र की राजनीति में सियासी हलचल ला दी है।
रवि राणा ने कहा, “उद्धव ठाकरे अपनी राजनीतिक दूरदर्शिता के दम पर इस बात को जान चुके हैं कि अगर वह मौजूदा समय में अपनी राजनीतिक समृद्धि चाहते हैं, तो उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शरण में आना ही होगा। इसलिए मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि आने वाले कुछ दिनों में आप लोगों को उद्धव ठाकरे और प्रधानमंत्री एक मंच पर एक-दूसरे से हाथ मिलाते हुए दिखेंगे। एनडीए के शपथ ग्रहण से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्धव ठाकरे एक मंच पर दिखेंगे।“
उल्लेखनीय है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में मूल शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद में दोनों के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद हो गया। दोनों अपना-अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। बाद में यह विवाद इस कदर बढ़ गया कि सुबह पौ फटने से पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार बागी होकर भाजपा को समर्थन देकर उपमुख्यमंत्री बन गये। देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। लेकिन सरकार चली नहीं और शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई तथा गठबंधन को ‘महाविकास अघाड़ी’ नाम दिया।
इन सब राजनीतिक परिघटनाओं के परिणामस्वरूप उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए, लेकिन वह करीब ढाई साल बाद एकनाथ शिंदे ने बगावत करते हुए शिवसेना को तोड़ दिया। शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर बालासाहेब ठाकरे के राजनीतिक विचारों को तिलांजलि देने का आरोप लगाया और अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई।