पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने भारत को दी जलयुद्ध की धमकी, हाफिज सईद की भाषा दोहराई

By : dineshakula, Last Updated : May 23, 2025 | 1:03 pm

इस्लामाबाद/नई दिल्ली : भारत द्वारा सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित किए जाने के बाद, पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी (Ahmed Sharif Chowdhary) ने भारत को जल को लेकर खुलेआम धमकी दी है। उन्होंने इस धमकी में वही भाषा इस्तेमाल की, जो लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और मुंबई 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद अपनी भारत विरोधी जहरीली तकरीरों में करता रहा है।

पाकिस्तानी विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए चौधरी ने कहा, “अगर आपने हमारा पानी रोका, तो हम आपकी सांसें रोक देंगे।” यह बयान हाफिज सईद के उसी पुराने वीडियो से मेल खाता है, जो इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह भारत को इसी भाषा में धमका रहा है।

पाकिस्तानी सेना का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत ने 23 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि के कुछ हिस्सों को निलंबित कर दिया था। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी। भारत ने इसे सीधे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से जोड़ा और जवाबी कदम के तहत संधि की समीक्षा की।

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी यह संधि, सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल के बंटवारे को नियंत्रित करती है। इसके अंतर्गत दोनों देशों को जल उपयोग पर नियमित जानकारी साझा करने की भी अनिवार्यता है।

भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि “रक्त और पानी एक साथ नहीं बह सकते, और बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकते”। भारत की यह नीति अब और सख्त होती दिख रही है। संधि के निलंबन के अलावा, भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को निशाना भी बनाया।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता का यह बयान केवल उकसावे की कोशिश नहीं, बल्कि एक ऐसे आतंकी विचारधारा से मेल खाता है जो दशकों से क्षेत्र में अस्थिरता फैला रही है। भारत ने इस तरह की भाषा और आतंक समर्थक रवैये को कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया है और अब प्रत्यक्ष कार्रवाई के रास्ते पर भी अग्रसर है।

विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठनों के बीच यह वैचारिक समानता कोई संयोग नहीं, बल्कि एक गहरी मिलीभगत का संकेत है, जो दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनी हुई है।