रायपुर। शिक्षक हमेशा अपने मस्तिष्क को कंट्रोल करता है। यही वजह है कि पढ़ाते समय छात्रों के समक्ष उसकी एकाग्रता बनी रहती है। इस बीच अगर किसी बच्चे की नादानी, गलती या अनुशासनहीनता पर उसकी नजर जाती है, तो वह अपने गुस्से और वाणी को नियंत्रित करता है और बच्चों को समझाते हुए पढ़ाने के रिदम को बनाए रखता है। महाराष्ट्र मंडल के संत ज्ञानेश्वर स्कूल (Sant Dnyaneshwar School) में शिक्षक- शिक्षिकाओं की कार्यशाला में इस आशय के विचार मोटिवेशनल स्पीकर एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. मंजरी बख्शी (Dr. Manjari Bakshi) ने व्यक्त किए।
डॉ. बक्षी गुरुवार को स्कूल में शिक्षक- शिक्षिकाओं के बीच मोटिवेशनल कार्यशाला में ‘समय संयोजन सकारात्मक सोच और जीवन के क्षेत्र’ विषय पर बोल रहीं थीं। उन्होंने शैक्षणिक कार्य से जुड़े विभिन्न सवालों और शंकाओं का समाधान भी किया। डाॅ. बक्षी ने कहा कि बतौर शिक्षक- शिक्षिका हम अपने कैरियर में आगे बढ़ रहे हैं और हमें अपने मस्तिष्क को नियंत्रित करना नहीं आता तो हमें गंभीरता से मेडिटेशन सहित विभिन्न उपाय करना चाहिए। शिक्षकीय कार्य के लिए यह अपरिहार्य है।
संत ज्ञानेश्वर स्कूल के प्राचार्य मनीष गोवर्धन व भारती सहगल ने डा. मंजरी बक्षी का परंपरागत तरीके से स्वागत किया और प्राचार्य के रूप में संत ज्ञानेश्वर स्कूल में उनके योगदान का स्मरण किया। कार्यशाला का संचालन तृप्ति अग्निहोत्री ने किया। अतिथि का परिचय शिखा शर्मा ने किया व सुनिधि रोकड़े ने आभार व्यक्त किया।
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