साय सरकार के कार्यवाहक से हिली ब्यूरोक्रेशी: पहली बार फिल्ड में पोस्टेड अफसरों को सस्पेंड
By : hashtagu, Last Updated : June 14, 2024 | 4:35 pm
छत्तीसगढ़ में इससे पहले एक बार एसपी सस्पेंड हो चुके हैं। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि, कलेक्टर, एसपी एक साथ एक ही मामले में सस्पेंड हो हुए हों। हालांकि, उन्हें एक दिन पहले ही जिले से हटाया गया था। इसलिए कलेक्टर और एसपी के तौर पर हुई चूक के लिए ही वे सस्पेंड हुए हैं। इससे पहले डॉ. रमन सिंह के दूसरे कार्यकाल के दौरान धमतरी के एसपी मोहंती सस्पेंड हो गए थे। मुख्यमंत्री की सभा में हंगामा और पथराव की घटना के कारण एसपी को सस्पेंड क्या गया था।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद 24 साल में छह आईएएस सस्पेंड हो चुके हैं। मगर लॉ एंड ऑडर के मामले में एक भी नहीं। क्योंकि ये सभी छह आईएएस तब फील्ड पोस्टिंग में नहीं थे। पांच आईएएस करप्शन के मामले में और एक सरकार के खिलाफ बयान देने के मामले में सस्पेंड हुए हैं। 1987 बैच के आईएएस अजयपाल सिंह ने पयर्टन विभाग के सचिव रहते अपने ही विभागीय मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ पुराने मंत्रालय में प्रेंस कांफ्रेंस लिया था। इसके बाद रमन सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया। बाद में उन्हें फोर्सली रिटायर कर दिया गया। इनके अलावा राधाकृष्णन, पी. राघवन, बीएल अग्रवाल, समीर विश्नोई और रानू साहू निलंबित हैं। इन पांचों के खिलाफ करप्शन के मामले में कार्रवाई हुई।
छत्तीसगढ़ में कुछ ही आईपीएस अधिकारी निलंबित हुए हैं। इनमें अविनाश मोहंती, मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह और जीपी सिंह शामिल हैं। अविनाश मोहंती और सदानंद के खिलाफ लॉ एंड ऑर्डर के केस में एक्शन लिया गया। जबकि, मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह और जीपी सिंह सियाशी कारणों से सस्पेंड किए गए।
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सस्पेंड करने करने के बाद अविनाश मोहंती ने प्रदेश छोड़ दिया। उन्होंने अपना कैडर चेंज करवा लिया। आईएएस अजयपाल सिंह और बीएल अग्रवाल को स्टेट रिव्यू कमेटी की सिफारिश पर डीओपीटी ने फोर्सली वीआरएस दे दिया। आईपीएस जीपी सिंह को रिव्यू कमेटी की अनुशंसा पर भारत सरकार ने रिटायर किया था। पर उन्हें कैट से स्टे मिल चुका है और उनकी फाइल राज्य सरकार की अनुशंसा के साथ भारत सरकार को भेजी जा चुकी है। किसी भी दिन उनकी पोस्टिंग का आदेश आ सकता है।
आईएएस, आईपीएस के सस्पेंशन के बाद उनके खिलाफ चार्ज शीट फ्रेम किया जाता है। विभागीय कार्रवाई की जाती है। जांच में दोषी पाए जाने पर मेजर पनिशमेंट भी दिया जाता है। आईपीएस तो कई बार दोषी पाए गए हैं जबकि आईएएस के मामले कम ही हैं। दोषी पाए जाने पर सर्विस बुक में भी उनके नाम दर्ज होते हैं। सस्पेंशन से सबसे बड़ा नुकसान सामाजिक प्रतिष्ठा का होता है। अफसर की गलती हो या न हो सालों तक चर्चा होती रहती है।