बिहार में ‘लोकसभा चुनाव’ के पहले ‘सोशल इंजीनियरिंग’ की बिछी बिसात

अगले साल संभावित लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार (Lok Sabha elections in Bihar) की सभी राजनीतिक पार्टियां अब चुनावी मोड में आ चुकी हैं।

  • Written By:
  • Updated On - November 26, 2023 / 04:24 PM IST

पटना, 26 नवंबर (आईएएनएस)। अगले साल संभावित लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार (Lok Sabha elections in Bihar) की सभी राजनीतिक पार्टियां अब चुनावी मोड में आ चुकी हैं। हालांकि शुरुआती दौर में करीब सभी पार्टियां सोशल इंजीनियरिंग (Social Engineering) को दुरुस्त कर सामाजिक गोलबंदी में जुटी नजर आ रही हैं।

भाजपा ने हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले कर दी, लेकिन अब जदयू और राजद भी इसकी शुरुआत कर अन्य पार्टियों के वोट बैंक में सेंध लगाने में जुटी है।

भाजपा जहां स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर बड़ा कार्यक्रम कर अपने भूमिहार समाज के वोटबैंक को एकजुट रखने की कोशिश में है, वहीं यदुवंशी समाज मिलन समारोह के जरिए बड़ी संख्या में इस समाज के लोगों को पार्टी में शामिल कर राजद के वोटबैंक में सेंध लगाने का प्रयास किया है। भाजपा ने 25 नवंबर को वीरांगना झलकारी बाई की जयंती पर पटना के बापू सभागार में पान-तांती रैली आयोजित कर अनुसूचित जातियों को साधने की जुगत शुरू कर दी है।

इधर, राजद भी खुद के यादव, मुस्लिमों के वोटबैंक की पार्टी कहलाने के ‘स्टांप’ को अब ए टू जेड के रूप में बदलना चाहती है। कहा जा रहा है कि राजद की नजर धुर विरोधी भूमिहार वोट बैंक पर है। राजद लीक से हटकर भूमिहार मतदाताओं को रिझाने की हरसंभव कोशिश कर रही है।

पिछले दिनों इसी क्रम में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की जयंती पर राजद प्रदेश मुख्यालय में भव्य कार्यक्रम आयोजन किया गया, जिसमे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और प्रदेश के मंत्री शामिल हुए। इस कार्यक्रम मे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भूमिहार समाज को रिझाने के लिए यहां तक कह दिया कि भूमिहार समाज अपने दिल और दिमाग से यह बात निकाल दे कि हम उनके विराेधी हैं।

तेजस्वी ने कहा कि राजद ए टू जेड की पार्टी है। हम दिल से चाहते हैं कि भूमिहार समाज हमारे साथ रहे।

इस बीच, जदयू ने भी ‘भीम संसद ‘ के जरिए दलित और महादलित को साधने की कोशिश की है। कहा जा रहा है कि भाजपा के जाति आधारित आयोजनों के जवाब में जदयू भीम संसद का आयोजन की है। पटना में आयोजित भीम संसद को लेकर जदयू ने अपनी पूरी ताकत लगा दी।

बिहार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि आज संविधान और आरक्षण खतरे में है। संविधान बदलने की कोशिश की जा रही है तो सांप्रदायिक ताकतें समाज में वैमनस्यता फैला रही हैं।

भाजपा के उपाध्यक्ष संतोष पाठक कहते हैं कि भाजपा कभी भी जाति और समाज की राजनीति नहीं करती है। भाजपा एक राष्ट्रीय पार्टी है और सबका साथ, सबके विकास की बात करती है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के प्रति समाज के सभी वर्गों का आकर्षण बढ़ा है।

उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हाल ही में पार्टी द्वारा कई मिलन समारोह का आयोजन किया गया, जो इस बात के प्रमाण हैं कि भाजपा बिहार में मजबूत हुई है, लोगों का आकर्षण बढ़ा है।

गौर से देखें तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पिछले लोकसभा चुनाव से परिस्थितियां अलग होंगी। जदयू इस चुनाव में एनडीए से अलग महागठबंधन के साथ होगी, तो महादलित नेता के रूप में पहचान बना चुके पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और लोक जनशक्ति पार्टी के दोनों गुटों के भाजपा के साथ रहने की संभावना है।

पिछले चुनाव में प्रदेश की 40 सीटों में से 39 पर एनडीए के प्रत्याशी ने जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में राजद का खाता भी नहीं खुला था, जबकि कांग्रेस के हिस्से एक सीट आई थी।

ऐसे में तय माना जा रहा है कि जदयू के कई सांसदों के टिकट कटेंगे। भाजपा के भी कई सांसदों के टिकट कटने की संभावना है। ऐसे में नेता और सांसद जोड़ घटाव में अभी से ही जुट गए हैं।