रायपुर / Pandit Jawaharlal Nehru Memorial Medical College Raipur पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर से संबद्ध डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय (Dr. Bhimrao Ambedkar Memorial Hospital) स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में दो हृदय रोगियों के धमनियों में जमे कैल्शियम को ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी प्रक्रिया के जरिये हटाते हुए हृदय में रक्त प्रवाह को सुगम बनाया गया। एथेरेक्टोमी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उपयोग एंजियोप्लास्टी से पहले कैल्सीफाइड ब्लॉक (प्लाक) को खोलने के लिए किया जाता है। इसमें 1.25 मिमी का डायमंड-कोटेड ड्रिल डिवाइस होता है जो कैल्शियम को लगभग दो माइक्रोन आकार के महीन कणों में बदल देता है। सरल शब्दों में कहें तो यह कैल्शियम को चूर-चूर करके महीन आकार के कण बना देता है। इस पद्धति के जरिये धमनियों को अच्छी तरह से साफ करके रक्त प्रवाह को सुगम बनाया जाता है। आर्बिटल एथेरेक्टोमी का उपयोग भारी (हैवी) कैल्सीफाइड कोरोनरी धमनियों वाले रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने मरीजों के सफल उपचार के लिए टीम को बधाई देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं का तेजी से विस्तार हो रहा है। एसीआई में हृदय रोग विशेषज्ञों की अनुभवी एवं समर्पित टीम ने कोरोनरी ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी पद्धति से हृदय रोगियों के लिए नयी उपचार सुविधा की शुरुआत की है। शासकीय चिकित्सालय में इस तकनीक का उपयोग कर एसीआई ने उपलब्धि हासिल की है। हृदय रोग के उपचार की दिशा में एसीआई की टीम द्वारा किये जा रहे नवाचार मरीजों में अच्छे जीवन की नई उम्मीद जगा रहे हैं।
कार्डियोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. कुणाल ओस्तवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि ऑर्बिटल एथेरेक्टोमी प्रक्रिया में धमनी में एक पतली कैथेटर डाली जाती है। इस कैथेटर में एक घूमता हुआ हीरा-लेपित बर (डायमंड कोटेड बर (किसी उपकरण या धातु की खुरदरी सतह)) होता है जो विशेष वृत्ताकार धुरी पर 360 डिग्री घूमते हुए नसों के अंदर जमे हुए कैल्शियम को खुरचकर निकालता है। कैल्शियम के जमाव को तोड़कर या पीसकर, यह प्रक्रिया रक्त प्रवाह के लिए एक चिकनी सतह बनाती है, जिससे एंजियोप्लास्टी करने एवं स्टंट लगाने में सहूलियत प्राप्त होती है और रुकावटों की संभावना कम हो जाती है। ऐसी नसें जिनमें सामान्य तरीके से एंजियोप्लास्टी एवं स्टंटिंग नहीं की जा सकती। उनमें यह तरीका अपनाया जाता है। यह कैल्शियम को इतने छोटे टुकड़ों में तोड़ता है कि वह आर्टरिज के कैपिलरी के द्वारा ही निकल जाता है।
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