नई दिल्ली, 21 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) का आकार 2047 तक बढ़कर 55 ट्रिलियन डॉलर (55 trillion dollars) तक पहुंच सकता है, लेकिन इसके लिए भारत को 8 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर आने वाले वर्षों में हासिल करनी होगी। यह लक्ष्य काफी महत्वाकांक्षी है लेकिन प्राप्त किया जा सकता है। आईएमएफ के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन ने यह बात कही है।
एक मीडिया इवेंट में उन्होंने कहा कि 8 प्रतिशत की विकास दर को प्राप्त किया जा सकता है। देश की डेमोग्राफी और सरकार की ओर से किए जा रहे नीतिगत सुधारों के कारण पिछले 10 वर्षों में विकास दर तेज रही है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर हम उद्यमिता की बात करें तो वर्ल्ड बैंक का डेटा दिखाता है कि 2014 के बाद से नई फर्म की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसके कारण भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उद्यम इकोसिस्टम बन पाया है। इससे औपचारिक क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने में सफलता मिली है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अनौपचारिक से औपचारिक की तरफ जा रही है। भारत की दो-तिहाई अर्थव्यवस्था अनौपचारिक है। अनौपचारिक क्षेत्र की फर्म में औपचारिक की अपेक्षा कम उत्पादकता होती है।
वर्ल्ड बैंक का दावा है कि भारत को अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय के एक-चौथाई हिस्से तक पहुंचने में 75 वर्ष का समय लगेगा। इस पर आईएमएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मिडिल इनकम की परिभाषा काफी बड़ी है। अगर भारत अपनी जीडीपी प्रति व्यक्ति आय को दो, तीन या चार गुना तक बढ़ाता है तो भी वह मिडिल-इनकम देश ही रहेगा।
उन्होंने आगे कहा कि मिडिल-इनकम के जाल से बाहर निकलने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दर काफी आवश्यक है।पिछले महीने आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर के लक्ष्य को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत कर दिया था। इसकी वजह देश में निजी खपत (विशेषकर ग्रामीण भारत में) का बढ़ना था।
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