इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shahbaz Sharif) ने सिंधु जल संधि को स्थगित करने पर भारत को धमकी दी है। उन्होंने कहा कि यदि भारत पाकिस्तान से पानी की एक बूंद भी छीनने की कोशिश करता है, तो पाकिस्तान उसे ऐसा सबक सिखाएगा जिसे वह जीवन भर नहीं भूल सकेगा। शरीफ ने मंगलवार को इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम में कहा कि भारत यदि सिंधु जल संधि का उल्लंघन करता है और पाकिस्तान की तरफ बहने वाले पानी को रोकने की कोशिश करता है, तो पाकिस्तान इसका जवाब निर्णायक तरीके से देगा।
शहबाज शरीफ ने यह भी कहा कि पानी पाकिस्तान की “लाइफलाइन” है और अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत देश के पानी के अधिकारों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह बयान पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के बयान के कुछ ही दिनों बाद आया, जिसमें उन्होंने भारत को युद्ध की धमकी दी थी।
#BREAKING: Pakistan Prime Minister Shehbaz Sharif warns India of serious consequences if India stops Indus Water Treaty. Says, he won’t let India take even a drop of Pakistan’s share of water. This is 4th threat from Pak in 48 hours after Asim Munir, Bilawal Bhutto, Khawaja Asif. pic.twitter.com/ER1uojwHoi
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 12, 2025
बिलावल भुट्टो की भी धमकी
इससे पहले, पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने सोमवार को भारत को धमकी दी थी कि यदि भारत सिंधु जल संधि को निलंबित रखता है तो पाकिस्तान के पास युद्ध के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि पाकिस्तान के लोग 6 नदियों को वापस लेने के लिए युद्ध करने में सक्षम हैं।
48 घंटे में तीन पाकिस्तानी नेताओं ने दी धमकी
पिछले 48 घंटों में पाकिस्तान के तीन प्रमुख नेताओं ने भारत के खिलाफ धमकी दी है, जिसमें पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो शामिल हैं।
सिंधु जल संधि का इतिहास
सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारे के लिए 1960 में हुई थी। इस संधि के तहत सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का पानी दोनों देशों के बीच तय मानकों के अनुसार बांटा गया। हालांकि, भारत ने 2022 में पाकिस्तान के साथ 65 साल पुराना यह समझौता रोक दिया था, इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है।
भारत का कदम:
भारत ने 2022 में जम्मू और कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को रद्द करने का फैसला लिया था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिसके बाद भारत ने यह कदम उठाया।