अफगानिस्तान : अफगानिस्तान में तालिबान सरकार (Taliban government) ने शतरंज जैसे बौद्धिक खेल पर अनिश्चितकाल के लिए बैन लगा दिया है। तालिबान का कहना है कि शतरंज को इस्लामी कानून यानी शरीयत के अनुसार जुए का एक तरीका माना जा सकता है। जब तक धार्मिक विचारों की पूरी जांच नहीं होती, तब तक यह खेल अफगानिस्तान में नहीं खेला जा सकेगा। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, तालिबान ने यह फैसला हाल ही में लिया है और देश के शतरंज महासंघ ने भी लगभग दो सालों से कोई टूर्नामेंट आयोजित नहीं किया है।
तालिबान के खेल निदेशालय के प्रवक्ता अटल मशवानी ने बताया कि शरीयत के अनुसार यह खेल ठीक नहीं है और इसी वजह से फिलहाल इस पर रोक लगाई गई है। उन्होंने यह भी कहा कि इस बैन को आगे हमेशा के लिए भी लागू किया जा सकता है, अगर धार्मिक विचारों से यही फैसला निकलता है। यह कोई पहला मौका नहीं है जब तालिबान ने किसी खेल पर रोक लगाई हो। इससे पहले उन्होंने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स जैसे फाइटिंग खेलों पर भी बैन लगाया था और महिलाओं के लिए तो लगभग हर खेल पहले से ही बंद है।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं को किसी भी खेल में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है। शतरंज जैसे खेल, जो दिमागी विकास और रणनीति पर आधारित होते हैं, उन्हें भी शरीयत के नाम पर बंद कर देना एक चिंताजनक फैसला है। खास बात यह है कि शतरंज का इतिहास इस्लामी सभ्यता से भी जुड़ा रहा है, लेकिन अब उसी समाज में इसे ‘गैर-इस्लामी’ कहकर प्रतिबंधित किया जा रहा है। यह फैसला सिर्फ अफगानिस्तान ही नहीं, पूरी दुनिया में बुद्धि और अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए एक झटका है।