Indian Nurse: यमन में भारतीय नर्स सीमा शेख के मामले में नया मोड़ आया है। यमनी अदालत ने माफी की अपील को खारिज कर दिया। इसके साथ ही, उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा गया।
सीमा शेख पर एक मरीज की हत्या का आरोप था। अदालत ने उन्हें दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। हालांकि, भारतीय सरकार और मानवाधिकार संगठनों ने यमनी सरकार से माफी की अपील की थी। लेकिन, यमनी अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। अब सीमा की स्थिति और भी मुश्किल हो गई है।
(Indian Nurse case) भारत सरकार ने यमन के अधिकारियों से लगातार संपर्क किया। लेकिन यमनी अदालत ने सख्त रुख अपनाया। भारत विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर पूरी तरह से नजर रखी। वे लगातार अपील कर रहे हैं, फिर भी कोई राहत नहीं मिली।
भारत का यमन में स्थायी दूतावास नहीं है। 2015 में राजनीतिक अस्थिरता के चलते दूतावास को सना से जिबूती (अफ्रीका) स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से, भारत सरकार यमन से संपर्क ‘नॉन-रेजिडेंट राजदूत’ के जरिए कर रही है। फिलहाल, रियाद स्थित भारतीय राजदूत यमन सरकार से संवाद कर रहे हैं।
भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह निमिषा (Indian Nurse) के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती। अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया, “हम एक हद तक ही मदद कर सकते हैं। अब हम अपनी सीमा तक पहुंच चुके हैं।”
‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने बताया कि (Indian Nurse) निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता यह था कि मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ (मुआवजा) स्वीकार करना होगा। परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (8.5 करोड़ रुपये) का मुआवजा प्रस्तावित किया गया। हालांकि, परिवार ने इसे ठुकरा दिया। उनका कहना था कि उनका सम्मान इससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है।
अब यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है। क्या भारतीय नर्स (Indian Nurse) कानूनी राहत मिलेगी या उनकी सजा को बरकरार रखा जाएगा? सभी की नजरें इस पर हैं।
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